ह्यूस्टनः सेहत के लिए फायदेमंद माने जाने वाले प्रोबायोटिक्स आंत के कैंसर के इलाज में कारगर साबित हो सकते हैं. आंत में पाये जाने वाले माइक्रो जर्म्स के असर को कम करने के लिए अगर प्रोबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाए तो ये सूजन कम करके और मलाशय के ट्यूमर को खत्म करके इन्टेस्टाइनल कैंसर के इलाज में प्रभावकारी सिद्ध हो सकते हैं.
कैसे की गई रिसर्च-
अमेरिका में टेक्सास चिल्ड्रेंस हॉस्पिटल एंड कोलंबिया यूनिवर्सिटी के बेयलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने चूहों पर किए रिसर्च में यह पाया है. शोधकर्ताओं ने जब चूहों के शरीर में हिस्टामिन पैदा करने वाले आंत के सूक्ष्म कीटाणु डाले तो उनमें सूजन कम हुई और ट्यूमर बनने में कमी आयी. चूहों में खुद से हिस्टामिन पैदा करने की क्षमता नहीं होती इसलिए उनके शरीर में हिस्टामिन डाले गए.
रिसर्च के नतीजे-
शोध के परिणामों से पता चला कि अगर आंत में पाये जाने वाले सूक्ष्म कीटाणुओं के असर को कम करने के लिए प्रोबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाए तो ये आंत में सूजन से होने वाली बीमारी से जुड़ी बड़ी आंत के कैंसर को रोकने और उसके इलाज में कारगर साबित हो सकता है.
क्या कहते हैं शोधकर्ता-
बेयलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर जेम्स वर्सालोविक ने कहा कि इस अध्ययन से इंसानों को होने वाली बीमारी का पता लगाने और उसके इलाज में मदद मिलती है.
नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.