Protein: ये प्रोटीन नहीं पच रहा तो गेहूं की रोटी भी बिगाड़ देगी सेहत, फिर खाएं क्या
गेहूं में मौजूद प्रोटीन नहीं पच पाता तो यह व्यक्ति की हालत इतनी खराब कर देता है कि उसे तुरंत डॉक्टर की जरूरत होती है.
भारत में अधिकांश लोग गेहूं को खाद्यान्न के रूप में यूज करते हैं. सुबह, दोपहर, शाम गेहूं की रोटी जरूर चाहिए. अगर गेहूं की रोटी ना मिले तो पेट नहीं भरता. चावल या अन्य खाद्यान्न कुछ हद तक भरपाई करते हैं लेकिन बिना रोटी के थाली नहीं सजती. अब उनका क्या करें? जिनका गेहूं की रोटी खाना ही सेहत बिगाड़ दे? पेट गड़बड़ कर जाए, थकान, खुजली और अन्य प्रॉब्लम में बॉडी घिर जाए. ऐसे में सवाल यही उठता है कि आखिर खाए तो खाए क्या?क्या गेहूं के अलावा अन्य ऑप्शन से पेट भरा जा सकता है? स्पेशलिस्ट बताते हैं कुछ लोगों को गेहूं में मौजूद प्रोटीन से एलर्जी होती है. वह उसे डाइजेस्ट नहीं कर पाते ऐसे लोगों के लिए उस प्रोटीन फ्री डाइट के लिए कई खाद्यान्न बाजार में उपलब्ध है.
Gluten बिगाड़ देता है सेहत
दरअसल गेहूं में एक प्रोटीन मौजूद होता है. नाम है gluten(ग्लूटेन). यह हार्ट के लिए फायदेमंद है. अन्य फायदे भी इसके हैं. लेकिन यदि यही प्रोटीन बॉडी में डाइजेस्ट ना हो यानि बॉडी के लिए इनटोलरेंट हो जाए. तब यह शारीरिक दिक्कतें खड़ी कर सकता है. जिन लोगों को ग्लूटेन डाइजेस्ट नहीं होता है. उन्हें डायरिया, उल्टी, थकान, शरीर में दर्द, ज्वाइंट पेन, हड्डियों में दर्द, सिर दर्द, डिप्रेशन, एंजायटी, चक्कर आना और स्किन में खुजली शामिल है. यह सिस्टम हर व्यक्ति के कुछ अलग अलग हो सकते हैं. लेकिन इनमें से कुछ न कुछ लक्षण ग्लूटेन इनटोलरेंस वाले व्यक्ति में देखने को मिलेंगे.
क्यों डाइजेस्ट नहीं होता ग्लूटेन
विशेषज्ञ बताते हैं कि पुराने जमाने में व्यक्ति के शरीर इतना मजबूत था कि वह कुछ भी पचा जाता था. लेकिन समय बदला और उबली हुई चीजें या अन्य सॉफ्ट खाद्यान्न की वजह से व्यक्ति की पचाने की क्षमता भी धीरे-धीरे घटती गई. दरअसल हार्ड खाद्यान्न को बचाने के लिए आंतों में जो बैक्टीरिया(bacteria in intestine) मौजूद थे. समय के साथ उनकी संख्या कम होती चली गई और आंतों में ऐसे बैक्टीरियाओं ने जगह पा ली जो केवल सॉफ्ट खाद्यान्न ही पचा सकते हैं. डॉ. तरुण कुमार ने बताया कि गेहूं में काफी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है. इन्हीं कार्बोहाइड्रेट में ग्लूटेन जुड़ा हुआ होता है. कुछ लोग कार्बोहाइड्रेट को पचा नहीं पाते हैं. आंतों में मौजूद बैक्टीरिया उसी पाचन के लिए होता है. जब वही बैक्टीरिया कार्बोहाइड्रेट और ग्लूटेन नहीं पचा पाता तो रिएक्ट करना शुरू कर देता है. रिएक्शन में ही दर्द, उल्टी, चक्कर, थकान, खुजली अन्य लक्षण देखने को मिल जाते हैं.
तो फिर खाए क्या?
India की पॉपुलेशन 130 करोड़ से अधिक है. इसका एक बड़ा हिस्सा गेहूं पर खाद्यान्न के रूप में निर्भर है. जो लोग गेहूं में मौजूद ग्लूटेन डाइजेस्ट नहीं कर पाते हैं तो फिर खाए क्या? विशेषज्ञ बताते हैं कि ग्लूटेन नॉर्मली गेहूं, जो और राई में पाया जाता है. यदि ग्लूटेन इनटोलरेंस है तो बाजार में कई ऐसे सप्लीमेंट या खाद्यान्न मौजूद है जिन्हें खाकर बॉडी की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है. इनमें बाजरा रागी समेत कई मिलेट्स हैं. कई कंपनियां ग्लूटेन फ्री प्रोडक्ट भी बाजार में ला रही हैं. उन्हें भी खाया जा सकता है.
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