भारत में भी बढ़ रहे हैं बच्चों में होने वाले कैंसर के केस, जानें कैसे होती है ये बीमारी और किन बच्चों को है ज्यादा खतरा?
'इंटरनैशनल चाइल्डहुड कैंसर डे' (International Childhood Cancer Day) के दिन बच्चों में होने वाली कैंसर के आंकड़े काफी ज्यादा चौंकाने वाले हैं.
'इंटरनैशनल चाइल्डहुड कैंसर डे' (International Childhood Cancer Day) हर साल इसी उद्देश्य से मनाया जाता है ताकि कैंसर (Cancer) से लड़ रहे बच्चों की दर्द और पीड़ा को एक हद तक दूर किया जा सके. 'वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन' (World Health Organisation) 2030 के मुताबिक दुनिया भर में 60 प्रतिशत बच्चे जो कैंसर के मरीज हैं .जिनकी जान कैंसर से बचाई जा सकती है. WHO के मुताबिक भारत में 20 प्रतिशत बच्चे कैंसर के मरीज हैं. इस आंकड़े के हिसाब से यह कह सकते हैं कि बच्चों के कैंसर का घर है भारत. भारत में लगभग 75,000 बच्चों को हर साल कैंसर हो रहा है. बचपन के कैंसर के सबसे आम प्रकार ल्यूकेमिया, ब्रेन ट्यूमर, लिम्फोमास और सॉलिड ट्यूमर जैसे न्यूरोब्लास्टोमास और विल्म्स ट्यूमर हैं.
साल 2019 से कैंसर का इलाज प्रोटॉन के जरिए किया जा रहा है
हर दिन टेक्नोलॉजी में वृद्धि हो रही है,जिसकी वजह से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के सफल इलाज के लिए देश दुनिया भर में 'कैंसर उपचार केंद्र' खोले गए हैं. जबकि फोटोन थेरेपी के जरिए सालों से कैंसर का इलाज किया जा रहा है. प्रोटॉन थेरेपी को लेकर धीरे-धीरे जागरूकता फैलाई जा रही है, खासकर साल 2019 से भारत में जब से इसके जरिए कैंसर के मरीज का इलाज किया जा रहा है.
प्रोटॉन थेरेपी
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, हाल ही में 'अपोलो प्रोटॉन कैंसर सेंटर' ने देश में बड़े स्तर पर कैंसर की मरीज के देखभाल करने के लिए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम थेरेपी बे नामक प्रोटॉन गैन्ट्री को अपने पोर्टफोलियो में जोड़ा है. भारत में डॉक्टरों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला कैंसर के इलाज का पुराना तरीका फोटॉन थेरेपी ही रहा है. इसका एक्स-रे और गामा किरणों में उपयोग किया जाता है. हालांकि, प्रोटॉन थेरेपी प्रोटॉन मॉल्यूक्यूल्स का उपयोग करके काम करती है जो ट्यूमर को फैलने से रोकता है. और उसे जगह पर केंद्रित करती है.
क्या है 'प्रोटॉन रे' थेरेपी
पुणे के 'ज्यूपिटर हॉस्पिटल' के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के डॉ. विकास कोठावड़े कैंसर का इलाज तीन तरीके से किया जाता है. सर्जरी, रेडिएशन, कीमोथेरेपी. रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल सर्जरी के बाद किया जाता है ताकि दोबारा कैंसर का खतरा न रहे. क्योंकि रेडिएशन से कैंसर की कोशिकाएं मर जाती है. इसकी रे इतनी पावरफुल होती है. जिसकी वजह से प्रोटॉन कैंसर की कोशिकाएं नष्ट हो जाती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डॉक्टर कैंसर की स्थिति देखते हुए प्रोटॉन थेरेपी का इस्तेमाल दूसरी थेरेपी के बिना भी कर सकते हैं. इसे एक्स-रे रेडिएशन थेरेपी, सर्जरी, कीमोथेरेपी के साथ भी किया जा सकता है.
डॉ. विकास कोठावड़े के मुताबिक 'प्रोटॉन रे' के जरिए कैंसर के आसपास के टिश्यूज को कम नुकसान पहुंचता हैं. इसलिए, इस थेरेपी से शरीर के दूसरे अंग कम प्रभावित होते हैं. इसकी हाइ रे भी कैंसर के मरीज को दी जा सकती है. भारत में इसलिए कैंसर के इलाज के इस तरीके को काफी ज्यादा पसंद किया जा रहा है.
क्या प्रोटॉन थेरेपी कैंसर के इलाज में वरदान है?
कैंसर पर 'प्रोटॉन थेरेपी' सबसे अच्छा काम करती है जब कैंसर रेडियो-प्रतिरोधी होते हैं, जब उन्हें नियमित विकिरण के बाद पुन: विकिरण की आवश्यकता होती है या जब आप नियमित विकिरण के बाद पर्याप्त खुराक नहीं दे पाते हैं. डॉक्टर के मुताबिक हम प्रोटॉन विकिरण के साथ इलाज कर सकते हैं. प्रोटॉन उच्च-ऊर्जा कण होते हैं जिनका उपयोग मेलेनोमा, रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर, बाल चिकित्सा ठोस ट्यूमर और ब्रेन ट्यूमर जैसे कठिन ट्यूमर में किया जाता है.
आमतौर पर बच्चों में होने वाले कैंसर के यह होते हैं लक्षण. आपके बच्चों में भी ऐसे किसी लक्षण दिख रहे हैं तो वक्त रहते इलाज करवाएं.
बच्चों को भूख न लगना
नींद की कमी
बुखार व कमजोरी रहना
हड्डियों में दर्द रहना
बार-बार इंफेक्शन होना
सांस लेने में तकलीफ होना
चिड़चिड़ापन रहना
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