(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Pulses Benefits: बनाने से पहले 6 घंटे के लिए जरूर भिगोएं दाल, दूर होंगी पाचन से जुड़ी ये समस्याएं
Health Benefits Of Pulses: दाल-चावल हम भारतीयों का पसंदीदा भोजन है. जब भी घर के बने खाने की बात होती है तो दाल का नाम जरूर आता है. दादी-नानी की बताई विधि से बनाई गई दाल अधिक पौष्टिक होती है.
How To Cook Puleses: दाल हमारे भोजन का अभिन्न अंग है. हमारे देश में दिन में ज्यादातर घरों में कम से कम एक समय के भोजन में दाल जरूर खाई जाती है. दाल प्रोटीन प्राप्त करने का प्राकृतिक सोर्स है. दालों से मिलने वाला पोषण शरीर के हर अंग के लिए जरूरी होता है. यहां तक कि घने बाल और सुंदर त्वचा के लिए भी हर दिन कम से कम एक कटोरी दाल जरूर खानी चाहिए. लेकिन दाल खाने का पूरा फायदा आपको तभी मिलेगा, जब इन्हें सही विधि से बनाया गया हो. ये आपकी सेहत से जुड़ी बात है इसलिए जरूर गौर करें...
दाल बनाने की सही विधि
दाल कोई सी भी हो, चाहे प्रेशर कुकर में एक सीटी लगाकर बनने वाली या फिर 5 सीटी में बनकर तैयार होने वाली, हर दाल को बनाने से पहले कम से कम 6 घंटे के लिए जरूर भिगोना चाहिए. ऐसा करने से दाल के गुणों में वृद्धि होती है और शरीर को इन्हें पचाने में आसानी होती है. क्योंकि सेहत संबंधी कई गुणों का खजाना होने के बावजूद दालों में कुछ ऐसे यौगिक होते हैं, जो शरीर को हानि पहुंचाते हैं. पानी में भिगोकर रखने से इनका बुरा असर दूर हो जाता है.
ये दाल तो सभी भिगोते हैं
आमतौर पर काबुली चना, छोले, देसी चना, लोबिया, राजमा और उड़द जैसी साबुत दालों को सभी लोग बनाने से एक रात पहले या 8 से 10 घंटे पहले भिगोकर रख देते हैं. जबकि अरहर, मूंग दाल, चना दाल, उड़द दाल या मूंग धुली दाल को बनाते समय ही जार से निकालते हैं और धोकर फटाफट बना लेते हैं. ऐसा करना आपके पाचन को नुकसान पहुंचा सकता है. इन दालों को भी बनाने से कम से कम 6 घंटे पहले पानी में भिगोकर जरूर रखें. साथ ही राजमा, चना और छोले को 10 से 12 घंटे तक पानी में भिगोना सही रहता है.
दाल भिगोने के फायदे
- दाल को पानी में भिगोकर रखने और इसके बाद पानी निथारकर (DECANTATION)इस दाल को बनने के लिए रखने से दाल में मौजूद एमाइलेज नामक यौगिक सक्रिय हो जाता है. यह यौगिक दाल में पाए जाने वाले जटिल स्टार्च को तोड़ता है और इनके पाचन की प्रक्रिया को आसान बनाता है.
- दाल भिगोकर रखने के बाद बनाने से शरीर के अंदर मिनरल्स के अब्जॉर्वशन को बढ़ाने में मदद मिलती है. क्योंकि दाल को भिगोकर रखने से फाइटेज नामक एंजाइम ऐक्टिव होता है और यह एंजाइम शरीर के अंदर आयरन, कैल्शियम और जिंक की स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करता है.
- कुछ लोगों को दाल खाने के बाद गैस बनने की समस्या होती है. इस समस्या से बचने के लिए भी दाल को भिगोना जरूरी होता है. क्योंकि दालें फलियों से बनती हैं और अधिकांश फलियों में ओलिगोसेकेराइड पाए जाते हैं. ओलिगोसेकेराइड एक खास तरह की चीनी होती है, जो शरीर के अंदर गैस पैदा करती है और सूजन को बढ़ाने की वजह बन जाती है. दाल को भिगोकर रखने के बाद बनाने से इस चीनी का असर बहुत कम हो जाता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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