पाइरेक्सिया के लक्षणों को पहचानें, शरीर में कितना फैल गया है कैंसर इसका देता है संकेत
कैंसर पेशेंट को आमतौर पर बुखार देखने को मिलता है. यह पाइरेक्सिया का लक्षण है. इन लक्षणों को पहचान कर तुरंत ही कैंसर की जांच कराने की जरूरत है. जरा सी लापरवाही भारी पड़ सकती है.
Cancer Symptoms: किसी भी बीमारी के लक्षणों की पहचान करना जरूरी है. लेकिन महत्वपूर्ण यह होता है कि बीमाीर की जानकारी किस स्टेज में हो रही है. कैंसर ऐसी ही खतरनाक बीमारी है. इसके जानलेवा होने के पीछे वजह यही है कि इसकी जानकारी शुरुआत में नहीं हो पाती है. जब इसकी पहचान हो पाती है, तबतक इलाज के लिए बहुत देर हा चुकी होती है. आज उस लक्षण को जानने की कोशिश करेंगे कि कैंसर होने पर दिखने लगते हैं. लेकिन व्यक्ति आमतौर पर उन्हें इग्नोर करता है.
पाइरेक्सिया को पहचानना जरूरी
जब कैंसर बॉडी के अलग अलग टिश्यू पर अटैक करता है तो यह अवस्था कैंसर की मेटास्टेटिस कहलाती है. इसका सीधा अर्थ है कि कैंसर शरीर के अन्य आर्गन में भी फैल रहा है या फैल चुका है. इस दौरान बॉडी का इम्यून सिस्टम डेमेज हो रहे टिश्यू की रोकथाम में जुट जाता है. इससे बॉडी गर्म होने लगती है. यह अवस्था पाइरेक्सिया की होती है. पाइरेक्सिया में बॉडी का तापमान ही बढ़ता है.
तो समझ लिजिए फैल गया कैंसर
डॉक्टरों का कहना है कि यदि कैंसर पेशेंट को पाइरेक्सिया की समस्या है तो इसका मतलब है कि कैंसर बॉडी के अन्य हिस्से में भी फैल गया है. कैंसर रिसर्च यूके के अनुसार, यह स्थिति गंभीर हो सकती है. पाइरेक्सिया या बुखार सभी तरह के कैंसर का एक लक्षण होता है. ल्यूकेमिया और लिम्फोमा में यह अधिक देखने को मिलता है.
इन कैंसर में बुखार आने का खतरा कम
ब्रेस्ट कैंसर, फेफड़े के कैंसर और आंतों के कैंसर में बुखार होने की संभावना कम होती हैं. हालांकि रिपोर्ट का कहना है कि कुछ मामलों में इन कैंसर मेें भी पेशेंट को बुखार आ सकता है. यदि कैंसर लीवर में फैल गया है तो इससे बुखार आने का खतरा बढ़ जाता है.
क्यों आता है बुखार
आमतौर पर यही देखा गया है कि कैंसर पेशेंट को बुखार होने की समस्या हो सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि जो बीमारियां बॉडी में अधिक जहरीले तत्व बनाती हैं. उन्हें बुखार होने का खतरा अधिक रहता है. कैंसर होने पर बुखार आता है तो इसमें पाइरोजेन्स की भूमिका हो सकती है. ट्यूमर पाइरोजेन का उत्पादन कर सकता है. पाइरोजेन हाइपोथैलेमस के काम करने की प्रक्रिया में बाधा डालते हैं. इसी से बॉडी का तापमान बढ़ता है. दरअसल, पाइरोजेन एक पदार्थ (संक्रामक जीव या उनके उत्पाद विषाक्त पदार्थ या साइटोकिन्स) है. इससे बुखार आने की संभावना बढ़ जाती है.
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