Priyanka Bishnoi Death: जोधपुर SDM की ऑपरेशन के दौरान मौत, ज़्यादा एनेस्थीसिया बनी वजह, जानें सर्जरी में क्या होते हैं रिस्क फैक्टर्स
राजस्थान की महिला प्रशासनिक अधिकारी की मौत के पीछे एनेस्थीसिया की ज्यादा डोज को जिम्मेदार कहा जा रहा है. एनेस्थीसिया सर्जरी के दौरान अहम भूमिका निभाता है.
SDM Priyanka Bishnoi Death: राजस्थान में सर्जरी के बाद प्रशासनिक सेवा की अधिकारी प्रियंका बिश्नोई की मौत पर बवाल खड़ा हो चुका है. आपको बता दें कि राजस्थान 33 वर्षीया की आरएएस अधिकारी प्रियंका बिश्नोई ने बीते पांच सितंबर को बच्चेदानी में गांठ के कारण अस्पताल में सर्जरी कराई थी. इसके बाद अगले दिन उनकी तबियत बिगड़ गई. इसके बाद लगातार उनकी तबीयत खराब रही और बीस दिन बाद उनकी मौत हो गई.
प्रियंका के परिजनों ने उस अस्पताल और डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग की है जहां प्रियंका का ऑपरेशन हुआ. आरोप है कि सर्जरी के दौरान ज्यादा एनेस्थीसिया देने के कारण प्रियंका की तबीयत खराब हुई और उनकी जान चली गई. देखा जाए तो किसी भी तरह की सर्जरी में एनेस्थीसिया की अहम भूमिका होती है. चलिए इस बारे में जानते हैं.
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एनेस्थीसिया क्यों दिया जाता है
एनेस्थीसिया की डोज सर्जरी के दौरान दर्द से राहत पाने के लिए दी जाती है. एनेस्थीसिया दरअसल दवाओं का एक मिश्रण होता है जिसके शरीर में जाने पर नर्वस सिस्टम दिमाग को कोई संकेत नहीं भेज पाता है. सर्जिकल कट के दौरान मरीज को दर्द ना हो, वो हिले नहीं, इसलिए एनेस्थीसिया की डोज इंजेक्शन के जरिए दी जाती है. इससे मरीज को सर्जरी का पता नहीं चलता और वो बेहोश रहता है.
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कैसे तय होती है सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया की डोज
जब भी किसी मरीज की सर्जरी होती है तो डॉक्टरों के साथ साथ ऑपरेशन रूम में एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट मौजूद होता है. ये स्पेशलिस्ट मरीज की उम्र, उसकी मेडिकल स्थिति, सर्जरी कौन सी है, सर्जरी कितनी बड़ी है, इस आधार पर एनेस्थीसिया की डोज तय करता है. अगर मरीज के ऑपरेशन के दौरान इन स्थितियों को नजरअंदाज करके डोज कम दी जाती है तो मरीज को ऑपरेशन के दौरान ही होश आ सकता है और उसे ज्यादा दर्द होता है.
हालांकि ये स्थिति जानलेवा नहीं होती है. लेकिन अगर मरीज को ऑपरेशन के दौरान जरूरत से ज्यादा एनेस्थीसिया दे दिया जाए तो उसकी जान तक जा सकती है. एनेस्थीसिया की ज्यादा डोज से मरीज का ब्लड प्रेशर और पल्स रेट कम हो सकता है. इतना ही नहीं मरीज को स्ट्रोक और हार्ट अटैक तक हो सकता है. कई बार ज्यादा डोज के चलते मरीज लकवे और ब्रेन डेड की सिचुएशन में भी आ जाते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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