(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
अशोक गहलोत को था हैप्पी हाइपॉक्सिया! जानिए ये क्या है और जिनको कोविड हुआ था, वो जरूर पढ़ें
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इन दिनों कई सारी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से गुजर रहे हैं. कोविड और स्वाइन फ्लू के बाद हैप्पी हाइपॉक्सिया की बीमारी से जूझ रहे हैं.
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) इन दिनों कई सारी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से गुजर रहे हैं. हाल ही में खबर आई थी कि उन्हें कोविड और स्वाइन फ्लू हुआ है और अब खबर आ रही है कि उन्हें हैप्पी हाइपॉक्सिया की बीमारी है. अपनी बीमारी को लेकर जानकारी देते हुए अशोक गहलोत ने ट्वीट किया है. अशोक अपने ट्वीट में बताते हैं कि ऑक्सीजन की कमी वाली यह बीमारी बेहद खतरनाक. फिलहाल डॉक्टर ने इस बीमारी की पहचान कर ली है.
अपनी बीमारी को लेकर अशोक गहलोत ने क्या लिखा?
हाल में तमाम नई रिसर्च से पता चला है कि कोविड के दौरान एवं कोविड के बाद भी शरीर में ऑक्सीजन लेवल की कमी हो जाती है जिसे "हैप्पी हाइपॉक्सिया" कहते हैं। इस बीमारी में कई बार मरीज को भी पता नहीं चलता क्योंकि सांस लेने में भी तकलीफ नहीं होती परन्तु समय पर डाइग्नोसिस ना हो तो यह बेहद…
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) February 8, 2024
अशोक गहलोत लिखते हैं कि कोविड के कारण हैप्पी हाइपॉक्सिया की स्थिति बनी पर डॉक्टर्स ने इसे समय रहते पहचान लिया परन्तु इससे मुझे 5-6 दिन बहुत परेशानी हुई. अगर आपको शरीर में कोई भी परेशानी लगे तो अपना ऑक्सीजन लेवल जरूर चैक करते रहें. आजकल तमाम तरह के वायरल इन्फेक्शन फैल रहे हैं इसलिए डॉक्टर्स भी मरीजों को समय-समय पर ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल कर ऑक्सीजन लेवल मापने की सलाह अवश्य देंवे.
क्या है हैप्पी हाइपॉक्सिया?
कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि कोविड से पीड़ित होने पर शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है या होने लगती है. जिसे हैप्पी हाइपॉक्सिया का नाम दिया गया है. मरीज में इसके खास कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं जिसके कारण कई बार इस बीमारी का पता सही वक्त पर चल नहीं पाता है. लेकिन इसे होने पर मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. जिसके बाद मरीज को डाइग्नोसिस पर रखा जाता है और अगर वक्त रहते न पता चले तो यह बेहद खतरनाक साबित हो सकता है.
हैप्पी हाइपॉक्सिया का मतलब है खून में ऑक्सीजन की कमी होने लगना. हेल्दी इंसान के शरीर में ऑक्सीजन सेच्युरेशन 95 प्रतिशत होता है. वहीं कोरोना होने के बाद किसी भी व्यक्ति के शरीर में यह सेचुरेशन प्वाइंट 50 प्रतिशत तक पहुंच जाता है. हाइपॉक्सिया की वजह से किडनी, दिमाग, दिल और बॉडी के दूसरे अंग भी काम करना बंद कर सकते हैं. यह काफी ज्यादा फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है. यह बीमारी होने पर सांस लेने में तकलीफ, घबराहट, चक्कर आना, पसीना आना और कई बार आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है. यह इसके लक्षण है लेकिन शुरुआत में इसके लक्षण नहीं दिखाई देते हैं. इस बीमारी की वजह से स्वस्थ्य दिखने वाला इंसान वेंटिलेटर पर पहुंच जाता है.
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