नई दिल्लीः सोशल मीडिया के जहां बहुत से फायदे हैं वहीं नुकसान भी हैं. सोशल मीडिया पर लोग कई बार ऐसी चीजें पोस्ट करते हैं जो या तो गलत होती हैं या फिर अफवाह. ऐसे पोस्ट को देखकर लोग ना सिर्फ बहुत डर जाते हैं बल्कि इसको शेयर भी करते हैं ताकि बाकी लोगों को भी अवेयर किया जा सकें. ऐसी ही एक पोस्ट की पड़ताल की एबीपी न्यूज़ ने. चलिए जानते हैं क्या है मामला.


मिथ-हाल ही में फेसबुक पर एक पोस्ट किया गया जिसमें कहा गया कि यदि महिलाएं अपनी प्राइवेट पार्ट यानि वैजाइना को साबुन से वॉश करती हैं तो ये खतरनाक है. इससे वैजाइना कैंसर हो सकता है.



फैक्ट- इस बारे में एबीपी न्‍यूज़ ने मैक्स वैशाली और मैक्स पटपड़गंज की गायनी ओंकोलॉजी डॉ. कनिका गुप्ता से बात की. जिनका कहना है कि साबुन या किसी भी चीज से सामान्य तौर पर वैजाइना (योनि) को वॉश करने से ना तो कोई कैंसर होता है ना ही इंफेक्शन. बल्कि ये इंफेक्शन को दूर करता है.

डॉ. कहती हैं कि वैजाइनल वॉश से भी कैंसर होना संभव नहीं है क्योंकि वैजाइना या सर्वाइकल कैंसर सिर्फ एक वायरस मानव पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण होता है. अगर साबुन या किसी जैल से वैजाइना वॉश की जाती है तो इससे इंफेक्शन दूर ही होगा, बढ़ेगा नहीं.

किससे करें वॉश-
डॉ. का कहना है कि वैजाइनल वॉश के लिए इंडिया में कुछ अलग से जेल या सोप इस्तेमाल करने का ट्रेंड नहीं है. यदि इंफेक्शन या कोई और कंडीशन होती है तभी डॉक्टर्स वी वॉश या क्लीन वॉश जैसी चीजों से वैजाइना वॉश करने की सलाह देते हैं. अन्यथा कुछ स्पेशल वॉश करने की जरूरत नहीं.

मिथ-इसके अलावा इस पोस्ट में ये भी कहा गया कि 56 लड़कियों की पीरियड्स के दौरान इस्तेमाल होने वाले विस्पर और स्टेफ्री सैनेटरी नैपकिन के कारण डेथ हो गई. पोस्ट में चेतावनी दी गई कि दिनभर एक ही पैड इस्तेमाल ना करें क्योंकि इन अल्ट्रा नैपकिंस में कैमिकल का इस्तेमाल होता है ये कैमिकल दिनभर में लिक्विड जैल में कन्वर्ट हो जाता है जिस कारण ब्लैडर कैंसर और यूट्रस कैंसर होने का डर रहता है. पोस्ट में सलाह दी गई कि सिर्फ कॉटन से बने पैड का ही इस्तेमाल करें. साथ ही ये भी लिखा गया कि यदि आप अल्ट्रा पैड्स का इस्तेमाल करती हैं तो 5 घंटे बाद बदल लें. अगर सैनेटिरी नैपकिन नहीं बदला गया तो इसमें जमा ब्लड ग्रीन होकर फंगस बन जाता है जो कि यूट्रस के जरिए बॉडी में जाता है.



फैक्ट- इस मैसेज के बारे में डॉ. कनिका गुप्ता का कहना है कि पीरियड्स के दौरान सैनिटरी पैड्स यूज कर रहे हो और दिनभर उसे चेंज नहीं कर रहे तो जो ब्लड इकट्ठा है उससे बस 1 पर्सेंट चांस हैं कि कुछ इंफेक्‍शन डवलप हो जाए लेकिन ये अलग सिचुएशन हैं. सैनिटरी पैड्स के इस्तेमाल से ना तो ब्लैडर कैंसर होता है और ना ही यूट्रेस कैंसर. इतना ही नहीं, अगर कॉटन पैड्स यूज करने की बात की जा रही हैं तो उसको भी चेंज नहीं करोगे तो इंफेक्शन और बाकी चीजें तो उससे भी हो सकती हैं. ये सिर्फ डराया जा रहा है कि 56 लड़कियों की विस्पर या स्टेफ्री से मौत हो गई.

मिथ-इसी फेसबुक पोस्ट पर एम्स की गाइडलाइंस देते हुए ब्रेस्ट कैंसर से बचने के तरीके बताए गए हैं. पोस्ट में लिखा है कि रोजाना ब्रा को वॉश करें. गर्मियों में काले रंग की ब्रा ना पहनें. रात को सोते हुए ब्रा ना पहनें. अंडर वायर ब्रा ना पहलें. धूप में निकलते हुए चेस्ट को पूरी तरह से कवर करें. डियोड्रेंट के बाजय एंटी परस्पिरेंट का इस्तेमाल करें.



फैक्ट- इस फेसबुक पोस्ट पर डॉ. कनिका का कहना है कि ज्यादात्तर ब्रेस्ट कैंसर हार्मोंस के कारण होते हैं. ब्रा के कलर, सन, आप क्या पहनते हैं उनसे कोई फर्क नहीं पड़ता है. सर्वाइकल और वैजाइना कैंसर के लिए एक वायरस जिम्‍मेदार है ठीक वैसे ही ब्रेस्ट कैंसर के लिए भी हार्मोंस जिम्मेदार है.

डॉ. ये भी कहती हैं कि बेशक, स्किन कैंसर हो सकता है. लेकिन वो भी इंडिया में बहुत कॉमन नहीं है कि बहुत तेज सूरज की रोशनी से स्किन कैंसर हो जाए. वैसे भी स्किन कैंसर सिर से लेकर पांव तक किसी भी हिस्से में हो सकता है इसका ब्रेस्ट कैंसर से कोई लेना-देना नहीं है.

आप हाइजिन मेंटेन करें ये बहुत अच्छी बात है लेकिन हाइजिन मेंटेन नहीं कर रहे यानि डेली ब्रा नहीं धो रहे इसलिए कैंसर हो रहा है तो ये सिर्फ एक मिथ है. आप सोते हुए कुछ भी पहनें उससे फर्क नहीं पड़ता लेकिन आप रात में सोते हुए कॉटन या फिर जितना लूज कपड़े पहनेंगे उतना ही अच्छा है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप इसको कैंसर से जोड़ दें. ठीक वैसे ही डियोड्रेंट का भी ब्रेस्ट कैंसर से कोई मतलब नहीं है. हां इससे स्किन प्रॉब्लम्स और एलर्जी बेशक हो सकती है.

वैजाइना और सर्वाइकल कैंसर में अंतर-  
डॉ. बताती हैं कि आमतौर पर लोग सर्वाइकल और यूटेराइन कैंसर (Uterine Cancer) में बहुत कन्फ्यूज रहते हैं. वैजाइनल एक रेयर कैंसर है. इसके बारे में तो सार्वजनिक तौर पर बात की ही नहीं जाती है. लेकिन सर्विक्स (सर्वाइकल) और यूट्रस के बारे में लोग बात करते हैं. यूट्रस का लोअर एरिया सर्विक्स कहलाता है. सर्वाइकल कैंसर वायरस की वजह से होता है. यूटेराइन और ब्रेस्ट कैंसर हार्मोंस में बदलाव या इंबैलेंस के कारण होता है. जिनकी जल्दी शादी हो गई, जिनको जल्दी पीरियड्स या लेट मीनोपोज हुआ है या फिर बेबी लेट हुआ है. इन्फर्टिलिटी है. इन सभी में ब्रेस्ट और यूटेराइन कैंसर ज्यादा होता है. लेकिन इनके कारण सर्वाइकल कैंसर नहीं होता है.