इसका सीधा सा जवाब है कि उनका हेल्दी लाइफस्टाइल. जापान के लोग हेल्दी रहने और लंबे जीवन के सिद्धांत पर जीते हैं. यहां तक की जापान दुनिया का ऐसा देश है जहां लोग 100 से ज्यादा साल तक आसानी से जीते हैं. जापान के लोग सिर्फ टेस्ट के लिए नहीं बल्कि हेल्थ बेनिफिट के लिए फूड खाते हैं. चलिए जानते हैं जापानियों के लाइफस्टाइल की कुछ जरूरी बातों के बारे में कि कैसे वहां की महिलाएं रहती हैं हरदम फिट.
ग्रीन टी- जापान के लोग ग्रीन टी पीना बहुत पसंद करते हैं. वहां ग्रीन टी 'माचा' के नाम से पॉपुलर है. ग्रीन टी सिर्फ टेस्ट में ही अच्छी नहीं होती बल्कि वो बहुत फायदेमंद भी होती है. ये दुनिया की सबसे हेल्दी टी है. एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर ग्रीन टी फ्री रेडिकल्स से फाइट करने में मदद करती है. साथ ही एजिंग को रोकती है. यहां तक की वो वजन भी कम करती है. ग्रीन टी पीने से हार्ट डिजीज और कैंसर का खतरा भी कम होता है.
फर्मेन्टड फूड- जैपनीज अक्सर फर्मेन्टड फूड खाना पसंद करते हैं. जैसे, दही, कोमबूचा, गोभी, मिस्सो, टेम्है, नैट्टो, पिकल्स, लस्सी और किमची जैसी चीजें खाते हैं. फर्मेन्टड फूड में एंजाइम्स, विटामिन बी, ओमेगा-3 फैटी एसिड और कई तरह के प्रोबायोटिक्स पाए जाते हैं. जो आपको हेल्दी रखते हैं.
सीफूड- अमेरिकंस के विपरीत जैपनीज लोग रेड मीट के बजाय सीफूड खाना ज्यादा पसंद करते हैं. रेड मीट खाने से कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स जैसे मोटापा, हाई कॉलेस्ट्रॉल और इन्फ्लैमटरी डिजीज हो सकती हैं. जैपनीज फिश, टूना, सैमन और श्रीम्प्स खाना पसंद करते हैं. सीफूड में प्रोटींस, जरूरी न्यूट्रिशंस और ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है. जो कि ब्रेन, हार्ट और ऑर्गंस के लिए अच्छा होता है.
छोटा-छोटा खाते हैं- जापान के कल्चर में लोग स्मॉल पोर्शन में खाना पसंद करते हैं. स्मॉल पॉर्शन में खाने की वजह से कम खाया जाता है. इससे वजन कम करने में आसानी होती है. इतना ही नहीं, छोटी प्लेट में भी यहां खाया जाता है. छोटी प्लेट में खाना अधिक दिखता है. इससे हाई कैलोरी और ओवरईटिंग से बचा सकता है.
वॉकिंग- जैपनीज़ लोग वॉक बहुत करते हैं. इसलिए वहां लोग इतने फिट रहते हैं. वॉक करने से ना सिर्फ वजन कम होता है बल्कि इससे कार्डियोवस्कुलर हेल्थ पर भी अच्छा इफेक्टस होता है. इससे एनर्जी बूस्ट होती है, मूड फ्रेश रहता है. साथ ही स्ट्रेस भी दूर होता है.
ईटिंग बिहेवियर- जापान में लोग खाने के दौरान ना टीवी देखते हैं और ना ही काम करते हैं. वे फूड के प्रजेंटेशन में बहुत ध्यान देते हैं. वे धीरे-धीरे खाते हैं. ताकि पेट को खाना पचाने का वक्त मिल सके. चोपस्टिक से धीरे-धीरे ही खाया जाता है.