Rashes On Kid's Skin And Face: छोटे बच्चों की देखभाल के समय कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती हैं. खासकर नवजात बच्चों की सेहत और स्किन को लेकर खास देखभाल बरतनी जरूरी है. छोटे बच्चों की स्किन पर होने वाली बीमारियों में एक बीमारी खास है और उसका नाम है हर्पीस. इस बीमारी में बच्चों के चेहरे और मुंह पर लाल लाल दाने निकल आते हैं.


छोटे बच्चों को ये संक्रामक बीमारी अपनी मां के चलते फैल जाती है. इसमें रात भर में ही बच्चे का मुंह लाल दानों से भर जाता है और कई बार ये दाने शरीर के दूसरे हिस्सों को भी अपनी चपेट में ले लेते हैं. छोटे बच्चे किसी भी परिस्थिति का सामना करने में अक्षम होते हैं और ऐसे में मां बाप घबरा जाते हैं. आपको बता दें कि घबराने की बजाय अपने बच्चे की इस परेशानी का इलाज करना ज्यादा मुश्किल नहीं है.


क्या है हर्पीस इन्फेक्शन ?


गाजियाबाद के सीनियर पीडियाट्रिशियन डॉक्टर आशीष प्रकाश का कहना है कि हर्पीस दरअसल एक स्किन कंडीशन है जो संक्रमण के चलते होती है.हर्पीस सिंप्लेक्स (HSV) नाम का वायरस स्किन पर हमला करता है और स्किन खासकर मुंह पर लाल लाल दाने निकल आते हैं. बच्चों को ये बीमारी उनकी मां के चलते होती है क्योंकि छोटे बच्चे दिन में ज्यादातर समय अपनी मां की गोद में बिताते हैं.


डॉक्टर प्रकाश के मुताबिक बच्चे पर जब हर्पीस का इंफेक्शन होता है तो उनके चेहरे पर लाल फफोले जैसे दाने निकल आते हैं जो पानी से भरे होते हैं. पानी से भरने के बाद ये फफोले फूट जाते हैं जिनसे द्रव निकलता है और उसमें खुजली और जलन होती है. चूंकि बच्चे की इम्यूनिटी कमजोर होती है इसलिए उसे इस कंडीशन में बुखार तक हो जाता है.


कितने तरह की होता है हर्पीस वायरस 


हर्पीस वायरस दो प्रकार के होते हैं. HSV-1 (ओरल हर्पीस) और HSV-2- (जेनिटल हर्पीस). हरपीज़ एक सामान्य शब्द है वायरस का एचएसवी-1 स्ट्रेन मुंह के ऊपरी हिस्से, होंठ, मसूड़ों, जीभ और मुंह की छत सहित मुंह के आसपास अविश्वसनीय रूप से दर्दनाक घावों और घावों का कारण बनता है. जबकि मौखिक दाद सबसे अधिक बच्चों में होता है, यह किसी भी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित कर सकता है.


कैसे होगा हर्पीस का इलाज  


देखा जाए तो छोटे बच्चों में ये संक्रमण बड़े स्तर पर होता है. इसलिए घबराने की बजाय उनके इलाज पर फोकस करना चाहिए. डॉक्टर का कहना है कि अगर बच्चे के मुंह पर दाने निकल रहे हैं तो उसे तीन सप्ताह के लिए एंटीवायरल दवा के तौर पर एसाइक्लोविर दिए जाने की सलाह दी जाती है. दूसरी तरफ नवजात शिशुओं में हर्पीस होने पर दो हफ्तों तक उन्हें इंट्रावीनस से एसाइक्लोविर की दवा दी जाती है. अगर हर्पीस के चलते आंखों में संक्रमण हुआ है तो ट्राइफ़्लुरिडाइन,आयोडोडीऑक्सीयूरिडीन या विडारैबिन के ड्राप आंखों में डालने की सलाह दी जाती है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 


हेल्थ इस गंभीर बीमारी का शिकार हैं 4 करोड़ से ज्यादा महिलाएं, ज्यादातर इसके खतरे से अंजान, जानें इसके लक्षण