नई दिल्लीः भारत में लगभग 70 करोड़ लोग ऐसे हैं जो कोयला, केरोसिन स्टोव या अन्य घरेलू स्रोतों से निकलने वाले धुएं में सांस लेते हैं. एक रिसर्च के मुताबिक, ये धुआं देशभर में अस्थमा का प्रमुख कारण है और इसी वजह से बच्चे भी अस्थमा का शिकार हो रहे हैं.


विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि भारत में 1.5 से दो करोड़ लोगों को दमा की शिकायत है और यह संख्या कम होने के कोई संकेत नहीं नजर आ रहे.


क्या कहते हैं डॉक्टर-
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा कि कुछ ट्रिगर अस्थमा के दौरे को बदतर भी बना सकते हैं. एक बार यदि एक बच्चे को अस्थमा होने का पता लग जाता है, तो घर से उसके कारणों या ट्रिगर्स को हटाने की जरूरत है या बच्चे को इनसे दूर रखने की जरूरत है.


बच्चों में अस्थमा को रोकने के लिए अपनाएं ये उपाय-




  • उन्हें नियमित दवाएं लेने में मदद करें

  • नियमित रूप से डॉक्टर के पास ले जाएं

  • उन्हें केवल निर्धारित दवाएं ही दें

  • इनहेलर सदैव साथ रखें और सार्वजनिक रूप से इसका इस्तेमाल करने में शर्म महसूस न करने के लिए प्रोत्साहित करें.

  • यदि बच्चे को कोई अन्य बीमारी परेशान कर रही हो तो डॉक्टर को सूचित करें.

  • तनाव कम करने और खुश रहने में बच्चे की मदद करें.


नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.