साइंटिस्ट ने कैंसर का पता लगाने के लिए बनाया एक नया बैक्टीरिया, इसे मरीज के आंत के अंदर डाला जाएगा
साइंटिस्ट ने आंत के कैंसर का इलाज करने के लिए एक नई तरह की बैक्टीरिया बनाई है. इस बैक्टीरिया का नाम बड़ा ही दिलचस्प है. इसका नाम है एसिनेटोबैक्टर बेलीई.
कैंसर एक गंभीर बीमारी के साथ-साथ जानलेवा भी है. एक बार कैंसर होने का मतलब है कि इससे ठीक होने में कितना वक्त लगेगा यह आपको नहीं पता है. अब हाल ही में साइंटिस्ट ने आंत के कैंसर का इलाज करने के लिए एक नई तरह की बैक्टीरिया बनाई है. इस बैक्टीरिया का नाम बड़ा ही दिलचस्प है. इसका नाम है एसिनेटोबैक्टर बेलीई. इस प्रोसेस में यह किया जाएगा कि कैंसर के दौरान इंसान के डीएनए में किस तरह के चेंजेज होते है इसका पता लगाने के लिए इस बैक्टीरिया को आंंत में इंजीनियर किया जाएगा. अभी फिलहाल इसे को कोलोरेक्टल कैंसर को ध्यान में रखकर इंजीनियर किया जा रहा है.
जर्नल साइंस' में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक
'जर्नल साइंस' में पब्लिश एक रिसर्च के मुताबिक आंत में कैंसर कहीं भी पनप सकता है, और इसका पता एक इंजीनियर सूक्षण जीव इसका पता लगा सकता है. रिसर्चर ने इस बैक्टीरिया को आंत में प्रोबायोटिक सेंसर के रूप में कार्य करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं ताकि आंतों की किसी भी बीमारी का सावधानीपूर्वक निरीक्षण, पता लगाया जा सके और रिपोर्ट किया जा सके.
एसिनेटोबैक्टर बेलीई नामक बैक्टीरिया
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन डिएगो में जीवविज्ञानी रॉबर्ट कूपर के नेतृत्व वाली टीम ने एसिनेटोबैक्टर बेलीई नामक बैक्टीरिया की एक प्रजाति को सफलतापूर्वक इंजीनियर किया है. यह बैक्टीरिया, जो अपने परिवेश से डीएनए को अवशोषित करने की क्षमता के लिए जाना जाता है. कोलोरेक्टल कैंसर में आम तौर पर विशिष्ट डीएनए अनुक्रमों की तलाश करने के लिए प्रोग्राम किया गया है.
जब यह ट्यूमर डीएनए को अपने सिस्टम में शामिल करता है, तो एक एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी जीन सक्रिय हो जाता है. यह जीन बैक्टीरिया को मल से निकाली गई एंटीबायोटिक युक्त अगर प्लेटों पर बढ़ने की अनुमति देता है. जो कैंसर कोशिकाओं की उपस्थिति का संकेत देता है.अनुसंधान अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है और नैदानिक परीक्षणों के लिए विधि को मंजूरी मिलने में कुछ समय लग सकता है.इसके अलावा, इंजीनियर्ड बैक्टीरिया की प्रभावशीलता और सुरक्षा का अभी भी सावधानीपूर्वक परीक्षण करने की आवश्यकता है. बैक्टीरिया को केआरएएस का पता लगाने के लिए प्रोग्राम किया जा रहा है, जो लगभग 40 प्रतिशत कोलोरेक्टल कैंसर, कुछ फेफड़ों के कैंसर और अधिकांश अग्न्याशय कैंसर में इस्तेमाल होगा.
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