न्यूयॉर्कः कान में घंटी बजने का अहसास होने को साइंस में टिनिटस कहा जाता है. इसका संबंध दिमाग के कुछेक नेटवर्क में होने वाले बदलाव से है. इस बदलाव की वजह से दिमाग आराम की मुद्रा में कम और सतर्कता की मुद्रा में ज्यादा आ जाता है.
क्या कहती है रिसर्च-
एक शोध की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. 'न्यूरो इमेज' पत्रिका में छपे शोध परिणाम के अनुसार, अगर आपको बेचैन करने वाली टिनिटस है, तो आपको ध्यान संबंधी समस्या होगी, क्योंकि आपका ध्यान जरूरत से ज्यादा आपके टिनिटस से जुड़ा होगा और अन्य बातों पर कम ध्यान होगा.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
शोधकार्य का नेतृत्व करने वाली अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफर इलिनॉयस की फातिमा हुसैन कहती हैं, "टिनिटस अदृश्य है. जिस तरह हम डायबिटीज या हाइपरटेंशन को नहीं माप सकते, उसी तरह हमारे पास उपलब्ध किसी यंत्र से इसे नहीं मापा जा सकता."
हुसैन ने कहा, "यह आवाज लगातार आपके दिमाग में रह सकती है, लेकिन कोई अन्य व्यक्ति इसे नहीं सुन सकता और शायद वह आपकी बात पर विश्वास भी न करे. वह सोच सकता है कि यह महज आपकी कल्पना है. चिकित्सकीय रूप से हम इसके कुछ लक्षणों को ठीक कर सकते हैं, इसे पूरी तरह ठीक नहीं कर सकते, क्योंकि हम यह नहीं जानते कि यह किस वजह से होता है.
रिसर्च के नतीजे-
दिमाग के कार्य और संरचना को देखने के लिए एमआरआई के प्रयोग के बाद हमने अध्ययन में पाया कि टिनिटस सुनने वाले के दिमाग में था. दिमाग के इस क्षेत्र को प्रिकुनियस कहते हैं.
प्रिकुनियस दिमाग में विपरीत रूप से जुड़े दो तंत्रों से जुड़ा होता है. विपरीत रूप से जुड़ा यह तंत्र पृष्ठीय और डिफॉल्ट मोड तंत्र होता है. पृष्ठीय तंत्र तब सक्रिय होता है, जब कोई व्यक्ति का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करता है, जबकि डिफॉल्ट मोड पृष्ठभाग में कार्यरत रहता है, जब व्यक्ति आराम कर रहा होता है या कुछ खास नहीं सोच रहा होता है.
इसके अलावा, टिनिटस की गंभीरता बढ़ने पर तंत्रिका तंत्र पर इसका प्रभाव पड़ता है.
नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.