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असम में 'जापानी एन्सेफलाइटिस' बीमारी का कहर, अब तक इतने लोगों की मौत...इसके लक्षणों को ऐसे पहचानें

Japanese Encephalitis:असम में पिछले कुछ सालों से डेंगू और जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई) सहित वेक्टर जनित बीमारियां तेजी से फैली रही है.

Japanese Encephalitis: असम में पिछले कुछ सालों से डेंगू और जापानी एन्सेफलाइटिस (Japanese Encephalitis) (जेई) सहित वेक्टर जनित बीमारियां तेजी से फैली रही है. यह सब बीमारी इन दिनों जोखिम और चिंता का कारण बनी हुई है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस मानसून सीजन में वेक्टर जनित बीमारियों ने 15 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है. प्रत्येक जिला प्राधिकरण हाई अलर्ट पर है और मेडिकल कॉलेजों ने बीमारी के प्रकोप से निपटने के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं.

Japanese Encephalitis को लेकर WHO ने क्या कहा

डब्ल्यूएचओ जापानी एन्सेफलाइटिस को डेंगू, पीले बुखार और वेस्ट नाइल वायरस से संबंधित वायरस से तुलना किया है. साथ ही यह बीमारी मच्छरों के जरिए फैलता है. हेल्थ डिपार्टमेंट के अनुसार, असम में हर साल जुलाई से सितंबर तक जापानी एन्सेफलाइटिस के मामले सामने आते हैं, लेकिन इस साल जुलाई के मध्य में मामले सामने आने लगे हैं.

क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छर के काटने से होता साथ ही जानें इसके लक्षण

यह बीमारी संक्रमित क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छर के काटने से होता है, विशेष रूप से क्यूलेक्स ट्राइटेनियोरिन्चस, जेई वायरस फैलाने के लिए मनुष्यों को काटते हैं. धान के खेतों,नदी, नाला  और सुअर के रहने वाले स्थानों के आसपास आमतौर पर फैले होते हैं.  डॉक्टरों के अनुसार, जेई से पीड़ित व्यक्ति में आमतौर पर या तो कोई लक्षण नहीं होंगे या केवल मामूली लक्षण होंगे. बुखार और सिरदर्द के लक्षण हैं, जबकि मतली, उल्टी, गर्दन में अकड़न, बोलने में बाधा और स्पास्टिक में दर्द के कारण होते हैं. 

इस मौसम में लोगों को लंबी बाजू के कपड़े पहनने चाहिए, मच्छरदानी, मच्छर मारने वाली दवाओं का उपयोग करना चाहिए, खड़े पानी, नालियों को साफ करना चाहिए और अपने घरों के आसपास सफाई का वातावरण बनाए रखना चाहिए.जेई से बचाव के लिए टीकाकरण कराने की सलाह दी जाती है. जहां जापानी एन्सेफलाइटिस वायरस (जेईवी) होती है, इसके खिलाफ एक टीका भारतीय सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) में शामिल किया गया है.

सबसे ज्यादा प्रभावित भारतीय राज्य

2006 में असम में जेई से संबंधित सबसे अधिक मौतें दर्ज की गईं. इस बीमारी के कारण लगभग 1,500 मौतें हुईं. पिछले साल जुलाई और अगस्त में भी जेई जैसी बीमारियों ने 77 लोगों की जान ले ली थी. इस बीच, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री केशब महंत ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग जेई के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए तैयार है. हर सरकारी अस्पताल में ऐसे मरीजों के लिए अलग से बेड की व्यवस्था की गई है. मच्छरों को मारने के लिए हर उजागर क्षेत्र को धुआं किया जा रहा है.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ें

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2018 से 2022 तक भारत में जेई से कुल 730 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 442 लोग केवल असम से थे. स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि अब तक 254 लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं. अकेले गौहाटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (जीएमसीएच) में पांच लोगों की मौत हो गई. कई लोग विभिन्न अस्पतालों में गंभीर हालत में हैं. इसलिए आशंका है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है.

जेई के लक्षण

डॉक्टरों के मुताबिक, जापानी एन्सेफलाइटिस का पहला लक्षण बुखार है, जिसके साथ तेज सिरदर्द होता है. ज्वर के प्रकोप के कारण रोगी को प्रलाप होने लगता है. ऐसा होने पर स्वास्थ्य पेशेवर बीमार को बिना देर किए अस्पताल में भर्ती होने की सलाह देते हैं.

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री केशब महंत के मुताबिक आम लोगों को सावधान रहना चाहिए. औषधीय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जा रहे हैं और लोगों के रक्त के नमूनों का परीक्षण कर रहे हैं. सरकारी अस्पतालों में जापानी इंसेफेलाइटिस के मुफ्त इलाज की व्यवस्था की गई है.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

ये भी पढ़ें: ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (टीएनबीसी) क्या है? दूसरे ब्रेस्ट कैंसर की तुलना में TNBC कितना खतरनाक है?

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