आजकल की मॉर्डन लाइफस्टाइल भले ही चीजें आसानी से मिल जाए लेकिन अपने साथ कई सारी बीमारी लेकर आती है. आजकल लोगों में ओवरथिकिंग की समस्या काफी ज्यादा बढ़ गई है. जिसरे कारण कई सारी बीमारियों का खतरा बढ़ा है. एक नई स्टडी के मुताबिक चिंता के कारण लोगों के अंदर एंग्जायटी और पार्किंसंस की बीमारी दोगुना बढ़ रही है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पार्किंसंस नर्वस सिस्टम और ब्रेन से जुड़ी खतरनाक बीमारी है. जो पूरी दुनिया के 10 मिलियन लोगों को अपनी गिरफ्त में ले चुकी है. 


पार्किसन्स के लक्षण


यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के रिसर्चर के मुताबिक पार्किंसंस के कारण डिप्रेशन, नींद में परेशानी, थकान, हाइपोटेंशन, कंपकंपी, अकड़न और शरीर में दर्द के साथ कब्ज की शिकायत होती है. 


पार्किंसंस बीमारी के शुरुआती लक्षण


यूसीएल के महामारी के मुताबिक चिंता को पार्किंसंस बीमारी के शुरुआती लक्षण माने गए हैं. स्टडी के मुताबिक 50 साल से ज्यादा उम्र वाले लोग जो काफी ज्यादा चिंता करते हैं उन्हें पार्किंसंस की बीमारी का जोखिम बढ़ता है. इसलिए इसके लक्षण दिखते ही इसका इलाज शुरू कर देना चाहिए नहीं तो यह खतरनाक रूप ले लेती है. एक आंकड़े के मुताबिक साल 2040 तक पार्किंसंस की बीमारी से 14.2 मिलियन लोग प्रभावित हो सकते हैं. फिलहाल 109,435 मरीजों पर यह रिसर्च की गई. यह 50 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों के लिए काफी ज्यादा चिंता का विषय है. 878,256 मैचिंग कंट्रोल्स से की गई, जिन्हें चिंता नहीं थी.


ब्रिटिश जर्नल ऑफ जनरल प्रैक्टिस के रिसर्च के मुताबिक अब तक के रिजल्ट से पता है कि कंट्रोल्स ग्रुप की तुलना में चिंता करने वाले लोगों में पार्किंसंस की बीमारी का जोखिम काफी ज्यादा बढ़ा है. 


पार्किंसंस बीमारी में शरीर के अंदर होता या ये


पार्किंसंस बीमारी में शरीर के मांसपेशियों में मैसेज भेजने वाले न्यूरॉन्स कमजोर पड़ने लगते हैं. एक समय के बाद यह काफी ज्यादा खतरनाक रूप ले लेते हैं. यह बीमारी मांसपेशियों के कंट्रोल, बैलेंस और एक्टिविटी को काफी ज्यादा हद तक बुरा असर डालता है. जिसके कारण सोचने, समझने की शक्ति एकदम खत्म हो जाती है. आम बोलचाल की भाषा में यह कह सकते हैं कि यह दिमाग पर काफी ज्यादा बुरा असर डालता है. 


पार्किंसंस रोग के लक्षण होते हैं


मांसपेशियों में लगातार कंपन होना


शरीर के अंगों को हिलाने में दिक्कत होना


शरीर में बैलेंस नहीं मिलना


आंखों को झपकाने में दिक्कत होना


ऐंठन होना


मुंह से लार टपकना


निगलने में परेशानी होना


आवाज का धीमा होना


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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