प्रदूषण पर बेअसर हैं रोडसाइड एयर प्यूरिफायर, नियंत्रण के लिए इन देशों से सीख सकता है भारत
नीरी (NEERI) द्वारा इजाद किए गए रोडसाइट एयर प्यूरिफायर प्रदूषण को कंट्रोल करने में कारगर साबित नहीं हैं. अन्य तकनीकें भी वाहनों का प्रदूषण नियंत्रण करने में नाकाफी साबित हो रही हैं.
राजधानी दिल्ली की सड़कों के आस-पास लगाए गए एयर प्यूरिफायर (वायु) जो वाहनों का धुआं साफ करने के लिए इंस्टॉल किए गए हैं, ये प्यूरिफायर वाहनों का प्रदूषण कंट्रोल करने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं. एक बयान में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के सचिव सी के मिश्रा ने इस बारे में साफ किया कि नीरी (NEERI) द्वारा इजाद किए गए गए रोडसाइट एयर प्यूरिफायर प्रदूषण को कंट्रोल करने में कारगर साबित नहीं हैं. अन्य तकनीकें भी वाहनों का प्रदूषण नियंत्रण करने में नाकाफी साबित हो रही हैं.
राजधानी में वायु गुणवत्ता, प्रदूषण के चलते 'गंभीर' बनी हुई है. इसे देखते हुए दिल्ली सरकार ने स्कूलों के लिए दो दिनों की छुट्टी की घोषणा कर दी है, ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि आखिर इस तरह के प्रदूषण के प्रकोप से कैसे निपटा जाए?
भारत की राजधानी दिल्ली के लिए वह देश उदाहरण हो सकते हैं जिनके शहर पहले भीषण प्रदूषण की चपेट में थे मगर उन देशों ने प्रदूषण के खिलाफ युद्ध स्तर पर अपनी कार्रवाई को तेज करते हुए अपने शहरों में एक ऐसी गुणवत्ता वाली आबो-हवा को तैयार कर लिया है, जहां निश्चिंत हो कर जीवन गुजारा जा सकता है.
ऐसी बात नहीं है कि सिर्फ भारत में ही प्रदूषण की वजह जिंदगी बेहाल है, बल्कि कुछ साल पहले चीन की राजधानी बीजिंग में भी हालात भारत के जैसे ही थे. ग्लोबल मीडिया में चीन के बच्चों द्वारा मास्क लगाई तस्वीरें वायरल भी हुईं थीं. मगर वायु प्रदूषण से निपटने के लिए चीन ने 'नेशनल एक्शन प्लान ऑन एयर पॉल्यूशन' को लागू किया. इस प्लान के तहत चीन ने अपनी राजधानी के तमाम कारखानों को घनी आबादी और शहर से बाहर स्थापित किया. इसके अवाला जो काराखाने ज्यादा प्रदूषण उत्सर्जित कर रहे थे उन पर लगाम लगाते हुए उन पर ताला तक लगवा दिया.
प्रदूषण से निपटने के लिए चीन की तरफ से की गई कार्रवाई
- कोयले से चलने वाले प्लांट पर नियंत्रण लगाया गया और उन्हें शहरों से बाहर स्थापित किया. इसके अलावा कोयले से चलने वाले नए प्लाटों की मंजूरी के लिए सख्त प्रवाधान कर दिए गए.
- चीन के शहरों में वाहनों की संख्या में कटौती करने के लिए चंद कदम उठाए गए जिनमें ऑड-ईवन स्कीम भी शामिल थी. डीजल वाहनों पर रोक लगाते हुए पुराने डीजल वाहनों को प्रतिबंधित कर दिया.
- शहरों में फ्रेश एयर कोरिडोर बनाने के साथ-साथ लो-कार्बन पार्क बनाए गए जिसके चलते कार्बन के उत्सर्जन में कमी नजर आई. इसके अलावा हजारों पेड़ लगाए जो आक्सीजन उत्सर्जित करने और कार्बन डाइऑक्साइड को खींचने का काम करते हैं.
इन्हीं कोशिशों के कारण पिछले सात सालों चीन के शहरों में वायु गुणवत्ता बेहतर स्थिति में है. जो शहर भीषण प्रदूषण की चपेट में थे वहां की आबोहवा जिंदगी गुजारने लायक हो गई है.
अन्य देशों की बात करें तो मैक्सिको में वायु प्रदूषण के स्तर को सुधारने के लिए 'वाया वर्दे' यानि 'ग्रीन वे प्रोजेक्ट' की शुरुआत की गई. जिसके तहत टावर्स को बगीचों में बदल दिया गया और उनके फ्लोर्स पर पौधे लगाए गए. इन्हें खास तौर ग्रीन वर्टिकल टावर कहा जाता है. इस तरह की प्रक्रिया को जर्मनी, अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों में भी लागू किया गया है.
ऐसे में देश की राजधानी दिल्ली में भी इस तरह की योजनाओं का कार्यान्वयन कर उचित वायु गुणवत्ता हासिल की जा सकती है.
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