कार्डियक या हार्ट मरीजों के इलाज में एक नई क्रांतिकारी बदलाव आए हैं. रोबोटिक हार्ट सर्जरी के जरिए ज्यादा मरीजों को बचाना आसान हो गया है. पहले ओपन हार्ट सर्जरी की जाती थी. लेकिन  नई तकनीक आने से इस क्षेत्र में  क्रांति आ गई है.


रोबोटिक हार्ट सर्जरी


रोबोटिक हार्ट सर्जरी में मरीजों की सबसे तेज और बेहतर रिकवरी हो रही है. अब तक इसमें 98 प्रतिशत मरीजों को सफलता मिली है. इंडिया टूडे में छपी रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के रोबोटिक हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. वरुण बंसल इसके फायदों के बारे में खुलकर बात करते हैं. उन्होंने कहा कि इसके जरिए हार्ट सर्जरी आसान हो गई है. 


Better Heart Surgeries: पहले ओपन हार्ट सर्जरी यानि छाती को पूरी तरह से काटकर सर्जरी की जाती थी. लेकिन रोबोटिक हार्ट सर्जरी के जरिए तकनीक के इस्तेमाल से आराम से दिल के छोटी-छोटी धमनियों तक मशीन के जरिए ऑपरेशन करना आसान हो गया है. अब हार्ट सर्जरी के दौरान किनारे में छोटा छेद करके मशीन के जरिए धमनियों तक पहुंच सकते हैं. वाल्व सर्जरी के लिए अब पूरी तरह से ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है. क्योंकि दाई तरफ छेद करके दिल तक पहुंचा जा सकता है.


सर्जरी का पूरा प्रोसेस आसान है लेकिन सर्जरी का तरीका अलग है. इसमें मरीज तेजी से रिकवरी करता है. मरीज सर्जरी के एक दिन बाद ही चलना शुरू कर सकते हैं. वहीं आराम से कुछ दिनों के अंदर ही छुट्टी दे दी जाती है. एक सप्ताह या 10 दिनों के अंदर मरीज आराम से एक्टिव होकर काम कर सकता है. 


Specialists growing: भारत में रोबोटिक हार्ट सर्जरी स्पेशलिस्ट की संख्या तेजी से बढ़ रही है. करीब 10-15 सेंटर में सर्जनों को ट्रेनिंग दी जा रही है.  अभी भी कई हॉस्पिटलों में रोबोट लगाए जा रहे हैं. थोड़े समय में हमारे पास रोबोटिक हार्ट सर्जरी के लिए और अधिक सर्जन और केंद्र होंगे, खासकर गैर-टियर-1 शहरों में जहां यह अभी भी लोकप्रिय नहीं हुआ है.


Ideal for very sick patients: रोबोटिक तकनीक की मदद से हम कुछ ऐसे रोगियों का ऑपरेशन करने में सक्षम हुए हैं, जिन्हें ओपन हार्ट सर्जरी से बहुत अधिक जोखिम हो सकता था. अपोलो हॉस्पिटल के डॉक्टर बताते हैं कि एक 93 साल के व्यक्ति जिसकी रोबोटिक हार्ट सर्जरी हुई थी और वह ठीक हो गया था. हमारे पास एक 76 साल का व्यक्ति था. जिसे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं थीं- रीढ़ की हड्डी की समस्या, पेसमेकर, फेफड़े की बीमारी और किडनी की समस्या. रोबोटिक सर्जरी की मदद से वह पहले दिन से ही सहारे के साथ चलने लगा और एक सप्ताह के भीतर उसे छुट्टी दे दी गई.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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