Sound Sleep Benefit: स्वस्थ्य शरीर के लिए सही समय पर सोना भी जरूरी है. विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छी नींद लेने से शारीरिक, मानसिक विकास बेहतर होता है. लेकिन उम्र और काम की व्यस्तता के लिहाज से सोने की समय सीमा के पैमाने बदल जाते है. मसलन, कोई बच्चा यूपीएससी या किसी परीक्षा की तैयारी कर रहा है तो वहां माता, पिता और शिक्षक कहते हैं कि कुछ समय के लिए 6 घंटे की नींद से काम चला लो. वहीं, अधिक उम्र होने पर भी नींद खुद से कम होने लगती है. लेकिन खिलाड़ियों के नींद लेने का अनुभव अलग होता है. खुद को फिट रखने के लिए वो 10 से 12 घंटे तक की नींद लेते हैं. कई बार इससे पार भी आंकड़ा चला जाता है. यही जानने की जरूरत है कि कितने घंटे सोकर स्वस्थ्य रहा जा सकता है. 


12 घंटे सोते हैं रोजर फेडरर


इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, विशेषज्ञ मुकेश बंसल ने बताया कि हर दिन अच्छी नींद न ले पाना, एक स्वस्थ्य जीवनशैली का उदाहरण नहीं है. कम सोने से एकाग्रता में बाधा आती है. शारीरिक तौर पर व्यक्ति कमजोर होने लगता है. नींद को प्राथमिकता बनाना इतना आसान नहीं है. लेकिन अच्छा जीवन जीने के लिए इसे जीवन में उतारना बेहद जरूरी है. यहां रोजर पफेडर को ही ले लिजिए. अदभुत खिलाड़ी हैं. वह नींद के साथ कभी समझौता नहीं करते हैं. हर दिन 12 घंटे तक सोना उनके रूटीन में शामिल है. एथेलीटस और जितने भी खिलाड़ी दुनिया में हैं. वह उतना ही अधिक सोना पसंद करते हैं. इससे उनका अभ्यास बेहतर होता है. रिवकरी बेहतर होती है और मानसिक रूप से भी तरोताजा महसूस करते हैं. 


हाइपरटेंशन, डायबिटीक होने का रहता है खतरा


नींद की कमी होने से आप थकान से नहीं उबर पाते हैं. चोट लगने या किसी तरह का संक्रमण होने पर परेशानी अधिक बढ़ जाती है. नींद का अभाव इम्यून सिस्टम को तेजी से प्रभावित करता है. इसके अलावा एक और इपोंर्टेंट फेक्टर यह है कि नींद कम लेने से बॉडी में भूख बढ़ाने वाले हार्मान गेर्लिन की वृद्धि हो जाती है. इससे मोटापा बहुत अधिक तेजी से बढ़ता है. एक अध्ययन में भी इस बात का खुलासा हुआ है कि यदि तय समय से कम नींद ले रहे हैं तो इससे ब्लड प्रेशर तेजी से बढ़ता है. व्यक्ति प्री डायबिटिक होने की कंडीशन में आ जाता है. वहीं, हाइपरटेंशन होने का खतरा भी बढ़ जाता है. 


फिर कितने घंटे सोना चाहिए


विशेषज्ञों ने उम्र के हिसाब से सोने के लिए भी अलग अलग पैरामीटर्स तय किए हैं. छोटा बच्चा जहां अधिक नींद लेता है. वहीं, उम्र बढ़ने के साथ ही नींद की समय सीमा भी घटती जाती है. जहां नवजात 19 घंटे तक सोता है. वहीं वृद्ध 16 से 17 घंटे जागने में ही गुजार देते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्येक उम्र के हिसाब से नींद की समय सीमा तय की गई है. आइए इसके बारे में जानते हैं. 


1. नवजात शिशुओं को करीब 14-17 घंटे सोना चाहिए. कोशिश करें कि वो 19 घंटे से अधिक नहीं सोए. 


2. 4 से 11 महीने के शिशुओं को 12 से 15 घंटे की नींद लेनी चाहिए, इससे अधिक नहीं सोने देना चाहिए. 


3. 12 महीने से 35 महीने यानी एक साल से ज्यादा और ​3 साल से कम आयु के बच्चों को 12 से 14 घंटे की नींद होनी चाहिए.


4. एक से 2 साल के बच्चों के लिए कम से कम 11 से 14 घंटों की नींद ठीक रहती है. इससे थोड़ा बहुत कम ज्यादा सोने में भी परेशानी नहीं आती है.


5. 3 से 5 साल के बच्चों के लिए 10 से 13 घंटों की नींद ठीक रहती है. 8 घंटे से कम और 14 घंटे से ज्यादा की नींद नहीं लेनी चाहिए.


6. 11 साल से 18 साल तक युवावस्था तक करीब 9 घंटे की नींद जरूरी है. 


7. 18-25 साल यानि नौजवान वयस्कों के लिए 7-9 घंटों की सलाह दी गई है. 6 घंटे से कम और 11 घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए. 26 से 64 साल के उम्र के लोगों को भी इतना ही सोना चाहिए. 


8. 65 साल से ज़्यादा उम्र के बुजुग 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लें. इन्हें 5 घंटे से कम और 9 घंटे से ज्यादा नहीं सोना चाहिए.


 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


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