क्या कहती है रिसर्च-
स्टडी के मुताबिक, जब ‘द नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट’ (कमजोर और सीरियस शिशुओं को ट्रीट करने वाली यूनिट), के स्टाफ से चिंतित और डरे और पेरेंट्स रूड बिहेव करते हैं तो इससे बच्चे का क्वालिटी ट्रीटमेंट पॉसिबल नहीं हो पाता. यानि डॉक्टर्स और नर्स के साथ खराब बिहेवियर से वे बच्चे का ट्रीटमेंट उस तरह से नहीं कर पाते जैस होना चाहिए.
खराब बात बोलते हैं पेरेंट्स-
तेल अवीव यूनिवर्सिटी के कोलर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट द्वारा करवाई गई इस रिसर्च के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. पीटर बैमबर्गर का कहना है कि हम गुस्से वाले पेरेंट्स का नहीं बल्कि रूड बिहेव करने वाले पेरेंट्स की बात कर रहे हैं. ये पेरेंट्स हाथापाई नहीं करते, चिल्लाते नहीं या फिर कुछ और खराब काम नहीं करते बल्कि रूड पेरेंट्स ऐसी बात बोल देते हैं जो कि डॉक्टर्स को सुनने में अच्छी नहीं लगती. ऐसा पेरेंट्स जानबूझकर नहीं कहते बल्कि वे बच्चे की बीमारी में चिंतित होते हुए बोल देते हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
डॉ. पीटर सुझाव देते हैं कि बेशक, पेरेंट्स को बच्चे की हेल्थ की टेंशन होती है लेकिन उन्हें अपना बिहेवियर ठीक रखना चाहिए जिससे डॉक्टर्स की टीम बच्चे का सही समय पर सही इलाज कर पाएं. वे कहते हैं कि पेरेंट्स के खराब बिहेवियर से डॉक्टर्स की टीम पर इफेक्ट पड़ता है. इसका इफेक्ट तब ज्यादा होता है जब बच्चे की सिचुएशन क्रिटिकल होती है.
इतना ही नहीं, रिसर्च में ये भी पाया गया कि वर्कप्लेस पर खराब एन्वायरमेंट का भी काम पर बुरा असर पड़ता है.