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रूस में कैंसर की वैक्सीन तैयार! जानें ये कब तक पहुंचेगी आम लोगों के पास, क्या है अपडेट

रूस ने दावा किया है कि उन्होंने कैंसर की वैक्सीन बना ली है और वे इसे मुफ़्त में बाटेंगे. हालांकि, उन्हें अभी तक उन वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल नहीं किया गया है.

जानलेवा बीमारी कैंसर आज भी लगभग लाइलाज है और लोग इससे खौफ खाते हैं. लेकिन क्या रूस का यह बड़ा दावा कैंसर को खत्म कर देगा? रूस ने दावा किया है कि उसने कैंसर की वैक्सीन बना ली है जो हर तरह के कैंसर ट्यूमर को रोक देगी. रूस के ऐलान के मुताबिक प्री-क्लीनिकल ट्रायल में यह साबित हो चुका है कि यह वैक्सीन कैंसर ट्यूमर को दबाने में कामयाब है. यह वैक्सीन शरीर के इम्यून सिस्टम को इतना मजबूत बना देती है कि जैसे ही कोई कोशिका कैंसर सेल बनने की ओर बढ़ती है. शरीर की इम्यूनिटी उसे खत्म कर देती है.

कुछ समय पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने टेलीविजन पर दिए गए एक बयान में कहा था कि हम कैंसर के टीके और नई पीढ़ी की इम्यूनोमॉड्यूलेटरी दवाओं के निर्माण के करीब है. अब सवाल यह उठता है कि अमेरिकी और यूरोपीय देशों में कैंसर का टीका बनाने की होड़ मची हुई है और हर दिन इसमें कुछ न कुछ विकास हो रहा है. मॉडर्ना और मर्क कंपनी की कैंसर वैक्सीन का तीसरा ट्रायल भी हो चुका है. लेकिन इस वैक्सीन को आने में 2030 तक का समय लगेगा. ऐसे में रूस के इस ऐलान से हर कोई हैरान है. अब यह जानना जरूरी है कि भारत के डॉक्टर इस पर क्या कहते हैं.

कैंसर सेल्स के खिलाफ लड़ेगी एंटीजन

कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करके काम करता है. जैसा कि यह किसी भी विदेशी एंटीजन के खिलाफ करता है. फिर से यह एक टीका है, लेकिन इसका उपयोग कैंसर को रोकने के लिए नहीं किया जाता है, बल्कि पहले से ही कैंसर से पीड़ित रोगियों के इलाज के लिए किया जाता है.

कैंसर को रोकने के लिए संक्रामक एजेंटों के खिलाफ उपलब्ध टीके जो कैंसर का कारण बनते हैं जैसे कि एचपीवी वायरस के खिलाफ टीका जो गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का कारण बन सकता है या एचबीवी के खिलाफ टीका जो सिरोसिस और यकृत कैंसर का कारण बन सकता है, पहले से ही बाजार में उपलब्ध हैं और यदि पहले से नहीं लिया गया है तो मानदंडों को पूरा करने पर इन टीकों को लेना चाहिए.

इंट्रा-सेलुलर मशीनरी

प्रौद्योगिकी mRNA का उपयोग करती है जो इंट्रा-सेलुलर मशीनरी के बीच एक संदेशवाहक है. mRNA वैक्सीन मैसेंजर RNA (एक अणु जो DNA से विशिष्ट निर्देश लेता है) के एक छोटे टुकड़े का उपयोग करके शरीर की कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं से जुड़े एक विशिष्ट प्रोटीन का उत्पादन करने का निर्देश देता है। फिर वह प्रोटीन प्रतिरक्षा प्रणाली को उन कैंसर कोशिकाओं पर हमला करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे वे कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं. यह हमारे अपने प्रतिरक्षा तंत्र को कैंसर कोशिकाओं से लड़ना और उन पर निशाना साधना सिखाता है. 

मैसेंजर RNA के आधार पर

इंडिया टीवी की इंग्लिश पॉर्टल में छपी खबर के मुताबिक इ़ंडिया रूस ने दावा किया है कि उसने मैसेंजर RNA के आधार पर कई तरह के कैंसर की वैक्सीन तैयार कर ली है. M-RNA ट्यूमर कोशिकाएं होती हैं जिनकी सतह पर असामान्य प्रोटीन होते हैं रूसी वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने अलग-अलग तरह के कैंसर के लिए कई एंटीजन खोजे हैं. इन सभी एंटीजन के खिलाफ mRNA विकसित किया गया और इसे लिपिड सस्पेंशन में मिलाकर मरीजों को दिया गया. जब mRNA किसी के शरीर में जाता है तो यह शरीर के इम्यून सिस्टम को इतना सक्षम बना देता है कि यह शरीर के अंदर कैंसर कोशिकाओं को पहचान लेता है और उन्हें ट्यूमर एंटीजन में बदलकर मार देता है.

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 चूंकि यह वैक्सीन कैंसर के मरीजों के लिए है और कैंसर की रोकथाम के लिए भी है. इसलिए अगर किसी में कैंसर कोशिकाएं हैं तो यह उन्हें नष्ट कर देती है और अगर कैंसर कोशिकाएं नहीं हैं तो यह शरीर में घूमती रहती है और कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने पर उन्हें मार देती है. डॉ. श्याम अग्रवाल ने कहा कि इसके ह्यूमन ट्रायल के बारे में अभी कुछ नहीं कहा गया है, इसलिए यह समझना बाकी है कि इस वैक्सीन की कितनी खुराकें होंगी और किस तरह के मरीजों पर इसका इस्तेमाल किया जाएगा. जब इंसानों पर ट्रायल का डेटा सामने आएगा, तभी हम इस वैक्सीन को ठीक से समझ पाएंगे. यह भी सच है कि ऐसी चीजों को करने में लंबा समय लगता है. सैद्धांतिक रूप से यह फिलहाल सही लग रहा है, लेकिन इसे जमीन पर उतारने के बाद इसके असर को परखा जाएगा. अगर उन्हें यह सफलता मिल जाती है तो वे नोबेल पुरस्कार के हकदार हो सकते हैं.

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क्या है रूस का दावा?

रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय में रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर के महानिदेशक एंड्री कैपरिन ने कहा कि रूस ने कैंसर के खिलाफ अपनी mRNA वैक्सीन विकसित कर ली है. जिसे मरीजों को मुफ्त में वितरित किया जाएगा. गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के निदेशक अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने कहा है कि वैक्सीन का प्री-क्लीनिकल ट्रायल बेहद सफल रहा है और यह ट्यूमर के विकास और उसके मेटास्टेसिस चरण को दबा देता है. गिंट्सबर्ग ने कहा कि हम कैंसर के इलाज में आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क की मदद ले रहे हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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