दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने जेनरिक दवा की ब्रिकी दवा पर रोक लगा दी है. दरअसल, कोर्ट ने कैंसर की जेनेरिक दवा पर रोक लगाई है. आखिर यह फैसला क्यों लिया गया है हमको आपको इसके पीछे का कारण बताते हैं.  अदालत ने 6 भारतीय दवा कंपनियों जैसे नैटको फार्मा, हेटेरो, बीडीआर फार्मा, शिल्पा मेडिकेयर, अल्केम और लॉरस लैब्स के दवा के जेनेरिक वर्जन पर रोक लगाई है. यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि यह दवाई कंपनी दवा के पेटेंट के नियम का उल्लंघन कर रही थी. इब्रुटिनिब का पेटेंट अमेरिकी कंपनी एब्वी की को-कंपनी फार्मास्यूटिकल्स के पास है. भारत में इस दवा की बिक्री जॉनसन एंड जॉनसन (जो जानसेन बायोटेक की भारतीय सहयोगी है) करती है.


कौन सी कैंसर में इस दवा का होता है इस्तेमाल


दिल्ली हाई कोर्ट ने हालिया अपने फैसले में ल्यूकेमिया यानि ब्लड कैंसर के इलाज में इस्तेमाल में होने वाली दवा इब्रुटिनिब के जेनेरिक वर्जन पर रोक लगा दी है. ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि इसके पेटेंट के नियम का उल्लंघन किया जा रहा है. इस दवा के बैन के बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि मरीजों को अब सस्ती दवा नहीं मिल पाएगी. 


कैंसर की दवा इब्रुटिनिब पर लगी रोक


कैंसर की दवा इब्रुटिनिब का पेटेंट साल 2026 तक का था. कैंसर की दवा का जेनरिक वर्जन को इम्ब्रुविका के पंजीकृत ट्रेडमार्क के अंतर्गत बेचा जा रहा था. न्यायमूर्ति सी हरि शंकर के मुताबिक कुछ दवा कंपनी बिना लाइंसेस के इब्रुटिनिब बना रही है और उसकी बिक्री कर रही है. यह दवा कैंसर के साथ-साथ दूसरी बीमारियों में भी इस्तेमाल किया जाता है. जब भी कभी पेटेंट का उल्लंघन किया जाएगा कानून उसके ऊपर शिकंजा कसेगा. यह फैसला 6 मुकदमों के बाद लिया गया है. रिट याचिका (लॉरस लैब्स द्वारा दायर की गई एक पोस्ट-ग्रांट आवेदन में) दायक की गई थी जिसके आधार पर इसे रद्द करने की मांग की गई. हालांकि की दवा के जरूरत का ध्यान रखते हुए कंपनी के पास जो दवा का पहले से स्टॉक है उसे खत्म करने यानि बिक्री करने की अनुमति दी है. लेकिन साथ ही यह शर्त रखा गया कि है कि वह बिक्री का पूरा विवरण अदालत के सामने पेश करेंगे. 


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