Government Scheme: सब्सिडी के बहाने कंपनियो की झोली में जाने वाला केंद्र सरकार का एक लाख करोड़ रुपये से अधिक बचाने की कवायद खुद केंद्र सरकार ने शुरू कर दी है। रासायनिक उर्वरकों के बजाय जैव उर्वरकों को बढ़ावा देने वाली इस स्कीम पर काम शुरू कर दिया गया है। योजना का इंटरेस्टिंग फैक्ट यह है कि योजना को चलाने में सेंट्रल गवर्नमेंट (centrel goverment of india) चवन्नी खर्च नहीं करेगी और बचत एक लाख करोड़ से अधिक कर लेगी। केंद्र सरकार जल्द ही योजना को लांच करने जा रही है।
योजना का कोई बजट ही नहीं रखा
बिना बजट के किसी योजना के चलाने की कल्पना नहीं की जा सकती है। लेकिन पीएम प्रणाम स्कीम ऐसी है कि इस योजना के लिए किसी तरह का कोई बजट आवंटित नहीं किया गया है। दरअसल सेंट्रल गवर्नमेंट ने साफ कर दिया है कि इस योजना का कोई अलग बजट नहीं होगा। उर्वरक डिपार्टमेंट द्वारा चलाई जा रही मौजूदा उर्वरक सब्सिडी की बचत के माध्यम से ही चलाया जाएगा। पैसा बचाने वाले स्टेट को 50 प्रतिशत धनराशि सब्सिडी के रूप में दे दी जाएगी।
किसान, महिलाओं के समूहों का भी होगा विकास
केंद्र सरकार ने जो खाका तैयार किया है। उसके अनुसार, सब्सिडी का 70 प्रतिशत गांव, ब्लॉक, जिला स्तर पर वैकल्पिक उर्वरकों और वैकल्पिक उर्वरक प्रोडक्शन यूनिट डेवलप करने पर खर्च किया जाएगा। इसके अलावा बाकि 30 परसेंट सब्सिडी का उपयोग किसान, पंचायत, किसान उत्पादक ग्रुप्स और स्वयं सहायता समूहों को पुरस्कृत करने और मोटिवेट करने के लिए खर्च किया जाएगा। ये सभी कैमिकल फर्टिलाइजर प्रयोग कम करने के लिए लोगों को अवेयर करेंगे।
कैसे बचेंगे करोड़ों रुपए
वर्ष 2020-21 में उर्वरक सब्सिडी पर 1.62 लाख करोड़ रुपए खर्च हुआ। वर्ष 2022 के दौरान यह 2.25 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े को पार करने का अनुमान है। सब्सिडी का यह डेढ़ लाख करोड़ से अधिक केंद्र सरकार की झोली से कंपनियो की जेब में गया। सेंट्रल गवर्नमेंट अब इसी पैसे को वापस अपनी झोली में डालने के लिए पोषक जैव उर्वरकों को बढ़ावा दे रही है। कम्पनियों को जाने वाले करोड़ों रुपये से विकास भी हो सकेगा।
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