Schizophrenia Spoils Your Love Life: सीजोफ्रेनिया एक क्रॉनिक मेंटल डिजीज है (chronic mental disease). इससे पीड़ित व्यक्ति काल्पनिक दुनिया में अधिक रहता है. उसके दिमाग पर हर समय कल्पनाएं हावी रहती हैं और इन्हीं कल्पनाओं को ये सच समझता है. धीरे-धीरे यह बीमारी गंभीर रूप धारण कर लेती है और व्यक्ति को व्यवहार संबंधी समस्याएं घेर लेती हैं. सीजोफ्रेनिया बीमारी तो एक है लेकिन इसके रूप अलग-अलग होते हैं. इस बीमारी के दौरान होने वाले डिल्यूजन अगर अधिक बढ़ जाएं तो रोगी अपने परिवार का ही कत्ल कर देता है.


इसी तरह सीजोफ्रेनिया के दौरान होने वाले डिल्यूजन में एक है डिल्यूजन ऑफ इंफेडिलिटी (Delusion of infidelity). जब रोगी सीजोफ्रेनिया की इस कैटिगरी का शिकार होता है तो वह पूरी दुनिया के साथ सामान्य व्यवहार करता है सिवाय अपने पार्टनर के. क्योंकि इस रोग में व्यक्ति को बेवफाई का भ्रम हो जाता है. वह अपने पति या पत्नी के कैरेक्टर पर शक करने लगता है. उसे हर समय लगता है कि उसके पार्टनर का किसी और के साथ अफेयर चल रहा है. और स्थिति तब गंभीर हो जाती है जब अपने शक को सच का रूप देने के लिए वह डेली लाइफ की घटनाओं को रिलेट करने लगता है. इससे पति-पत्नी के रिश्ते में दरार आती है और बात तलाक तक पहुंच जाती है.


Live Case: कई साल पहले जयपुर कोर्ट में जब ऐसा केस पहुंचा तो जज की अवेयरनेस के कारण पति-पत्नी का तलाक होने से बच गया और रोगी का मनोचिकित्सक से इलाज कराया गया है और फिर कपल अपना सामान्य जीवन शुरू कर पाए. इस घटना से आप समझ सकते हैं कि यदि जज को इस बीमारी का ज्ञान ना होता तो एक परिवार बिखर जाता और इस बिखराव में दोषी भी कोई नहीं होता! क्योंकि जो पति शक कर रहा था वो रोगी था और जो उससे परेशान हो रहे थे, वो बीमारी से अनजान थे!


सीजोफ्रेनिया के प्रारंभिक लक्षण



  • इस बीमारी के शुरुआती संकेत कुछ इस तरह नजर आते हैं, जैसे पीड़िय व्यक्ति जो पहले हंसमुख और मिलनसार हुआ करता था, उसका व्यवहार बदल गया है और वो अलग-थलग रहता है. दोस्तों और परिवार के साथ होकर भी उनके साथ नहीं होता. यानी शरीर से उपस्थित होता है लेकिन मन और मस्तिष्क से नहीं. इस बदलाव को परिवार के लोग और दोस्त आसानी से नोटिस कर सकते हैं.

  • सीजोफ्रेनिया से ग्रसित व्यक्ति अपनी पर्सनल हाइजीन पर भी ध्यान नहीं देता है. यहां तक कि वह रोज नहाना और ब्रश करना भी बंद कर देता है. या ऐसा करना भूल जाता है.

  • यह बीमारी आपको नई या अजीब लग सकती है लेकिन ऐसा है नहीं. आंकड़ों की बात करें तो हमारे देश में ही इस बीमारी से ग्रसित 38 से 40 लोग हैं.

  • यूं तो हमारे देश में मानसिक बीमारियों को लेकर वैसे ही जागरूकता का अभाव है और सीजोफ्रेनिया जैसी बीमारी के दौरान व्यक्ति के व्यवहार में जो बदलाव होते हैं, इन्हें लोग एटिट्यूड से जोड़कर देखने लगते हैं. इसलिए यह इस बीमारी से ग्रसित ज्यादातर लोगों की स्थिति गंभीर होने के बाद ही बीमारी पता चल पाती है.


सीजोफ्रेनिया के डिल्यूजन और इंफेडिलिटी का इलाज


ऐसे रोगी का इलाज संभव है, जिसे हर समय अपने पार्टनर पर शक रहता है और जो सीजोफ्रेनिया के डिल्यूजन और इंफेडिलिटी का शिकार हो. इस बारे में मैक्स हॉस्पिटल, पटपड़गंज दिल्ली के सीनियर सायकाइट्रिस्ट डॉक्टर राजेश कुमार का कहना है कि सही इलाज के बाद व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है. दवाओं, काउंसलिंग और थेरपी के जरिए इस तरह के रोगियों का इलाज किया जाता है.


 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. 


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