टोरंटो: जो लोग सिजोफ्रेनिया बीमारी से ग्रस्त होते हैं उनकी मौत का जोखिम तीन गुणा बढ़ जाता है और कम उम्र में उनकी जान चले जाने की संभावना होती है.


कैसे की गई रिसर्च-
सिजोफ्रेनिया की प्रवृति को समझने के लिए कनाडा के ओंटारिया में 20 साल (1993-2012) में हुई 16 लाख से अधिक मौतों का रिसर्च कर यह निष्कर्ष निकाला गया है. उनमें 31,349 लोग इस बीमारी के मरीज थे. ऐसे देखा गया कि यह बीमारी महिलाओं, कम उम्र के लोगों, निम्न आय वर्ग वाले क्षेत्रों को अपने गिरफ्तर में लेती है.


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क्या कहती है रिसर्च-
रिसर्च के मुताबिक, लाइफ साइकल बढ़ने के बावजूद सिजोफ्रेनिया के रोगी आम लोगों की तुलना में लगभग आठ साल पहले ही गुजर जाते हैं.


पहले भी हो चुकी हैं रिसर्च-
पिछले अध्ययनों में भी सिजोफ्रेनिया से उच्च मृत्युदर नजर आयी है . स्कैंडिनेविया और आस्ट्रेलिया जैसे दूसरे देशों से भी ऐसे रिसर्च सामने आए हैं.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
कनाडा के इंस्टीट्यूट ऑफ क्लीनिकल एवैलूएटिव साइंसेज के पॉल कुर्दयाक ने कहा कि यह रिसर्च समानता का भी मुद्दा उठाता है यानी कि सिजोफ्रेनिया के रोगियों को जनस्वास्थ्य और अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं का उतना लाभ नहीं मिल रहा है जितना बिना इस रोग के व्यक्तियों को मिलता है.


नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.