मानवता के लिए सख्त चेतावनी में इबोला वायरस की खोज करनेवाले वैज्ञानिक ने सावधान किया है. उन्होंने कहा है कि आनेवाले दिनों में कोविड-19 से भी ज्यादा खतरनाक और घातक वायरस का पता चल सकता है. 1976 में इबोला की खोज में मदद करनेवाले प्रोफेसर जीन-जैक्स मुएम्बे ताम्फुम ने सीएनएन के साथ बातचीत में दावा किया.


कोविड-19 से भी ज्यादा खतरनाक वायरस हो सकता है उजागर


उन्होंने कहा, "हम ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहां ने रोगजनक सामने आएंगे." इबोला वायरस का पता चलने के साथ ही ताम्फुम ज्यादा खतरनाक रोगजनक की तलाश में जुटे हुए हैं. उन्होंने इंसानों से जानवरों में बीमारी के संभावित फैलाव के हवाले से बताया कि ये इंसानियत के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है और इसकी शुरुआत अफ्रीका के ऊष्णकटिबंधीय वर्षावन से होने की आशंका है. अधिक जूनोटिक बीमारियों के हवाले से उन्होंने कहा कि ये जानवरों से इंसानों में फैल सकती है जिससे स्वास्थ्य और जिंदगी को संदिग्ध खतरा होने का डर है.


इबोला वायरस की खोज करनेवाले वैज्ञानिक की चेतावनी


आपको बता दें कि जिस वक्त इबोला की खोज हुई थी, उस वक्त ताम्फुम पीड़ितों के ब्लड सैंपल इकट्ठा करने के लिए फ्रंट लाइन पर थे. इबोला बहुत खतरनाक बीमारी है जो नकसीर का कारण बनती है और सबसे ज्यादा मृत्यु दर होती है. बीमारी के फैलाव की शुरुआत में, इबोला के चलते 88 फीसद संक्रमित लोगों की जान चली गई थी. ताम्फुम के मुताबिक, पीला बुखार, इन्फ्लुएंजा के विभिन्न प्रकार, रेबीज, ब्रूसीलोसिस और लाइम बीमारियां सभी चूहा, गिलहरी और कतरनेवाले जानवर या कीड़े-मकोड़ों से इंसानों में आई थीं और महामारी के प्रकोप का कारण बनी थीं.


विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आधिकारिक रूप से इबोला प्रकोप का इस साल जून 2020 में खत्म करने की घोषणा की थी. हालांकि, हाल ही में कोविड-19 की महामारी ने दूसरे नए एबोला प्रकोप के खतरे को बढ़ा दिया है. जिसके चलते मानवता को जबरदस्त स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. ताम्फुम ने दोहराया कि नया, खतरनाक वायरस भविष्य में 'बहुत वास्तविक' है.


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