Robotic Arm: ऑस्ट्रेलिया के सांइटिस्ट्स ने एक नया सॉफ्ट 'रोबोटिक आर्म' डेवलप किया है, जिसका इस्तेमाल सीधे ह्यूमन बॉडी के अंदर से 3D प्रिंट बायोमटेरियल के लिए किया जाएगा. जानकारी के मुताबिक, ये न्यू रोबोटिक आर्म छोटा होने के साथ-साथ काफी फ्लेक्सिबल भी है. 3D बायोप्रिंटिंग एक ऐसा प्रोसेस है, जिसमें नेचुरल टीशूज़ जैसे स्ट्रक्चर के निर्माण के लिए बायोइंक से बायोमेडिकल पार्ट्स का निर्माण किया जाता है.


बायोप्रिंटिंग का मुख्य रूप से टीशू इंजीनियरिंग जैसे रिसर्च उद्देश्यों और नई दवाओं के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जाता है. आमतौर पर ह्यूमन बॉडी के सेलुलर स्ट्रक्चर का निर्माण करने के लिए बड़ी 3D प्रिंटिंग मशीनों के इस्तेमाल की जरूरत होती है. सिडनी में न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स द्वारा डेवलप किया गया छोटा और फ्लेक्सिबल 3D बायोप्रिंटर, एंडोस्कोप की तरह ही शरीर में डाला जा सकता है.


कैंसर की सर्जरी में आ सकता है काम


F3DB के रूप में पहचाने जाने वाले नए प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट डिवाइस में एक स्विवल हैड होता है, जो बायोइंक को प्रिंट करता है. ये एक लंबे और लचीले सांप जैसे दिखने वाले रोबोटिक हैंड के सिरे से जुड़ा होता है. इन सभी मूवमेंट्स को बाहर से कंट्रोल किया जा सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि ये नया डिवाइस 'एंडोस्कोपिक सबम्यूकोसल डिसेक्शन' (ESD) के रूप में जानी जाने वाली प्रक्रिया के जरिए कुछ कैंसर, जैसे कोलोरेक्टल कैंसर को हटाने के लिए होने वाली सर्जरी करने में काम आ सकता है.


शरीर के मुश्किल हिस्सों तक पहुंच सकेगा


शोधकर्ताओं ने दावा किया कि इस डिवाइस का इस्तेमाल अगले 5 से 7 सालों में डॉक्टर्स द्वारा किया जा सकता है. इस डिवाइस की मदद से शरीर के उन हिस्सों तक पहुंचा जा सकेगा, जहां पहुंचना अक्सर मुश्किल होता है. यह शोध एडवांस्ड साइंस जर्नल में प्रकाशित एक पेपर में पब्लिश किया गया है. रिसर्चर्स की टीम ने एक आर्टिफिशियल कोलन के अंदर अपने इस डिवाइस की टेस्टिंग की. साथ ही साथ सुअर की किडनी की सतह पर अलग-अलग आकारों के साथ 3D प्रिंटिंग मटेरियल का परीक्षण किया. 


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