Corona Prevention: वैज्ञानिकों को मिली कोरोना की कमजोर कड़ी, टी-सेल्स की हेल्प से हो सकता है कमाल
Corona Mutation: लगातार म्यूटेशन के साथ कोरोना नए रूप में सामने आ रहा है. निकट भविष्य में हमारे वैज्ञानिक इसकी यात्रा पर पूर्ण विराम लगा सकते हैं. क्योंकि नई रिसर्च में कोरोना की कमजोर कड़ी मिली है.
Corona Virus Mutation: हमारे शरीर के अंदर कई तरह की कोशिकाएं होती हैं और इनके अलग-अलग काम होते हैं. इन्हीं में एक होती हैं टी-सेल्स. इन्हें टी-हेल्पर सेल्स भी कहते हैं. ये कोशिकाएं शरीर के अंदर एक मल्टीटास्कर के रूप में अपनी भूमिका निभाती हैं. लेकिन इनका जो मेजर टास्क होता है, जो अन्य कोशिकाओं से एकदम अलग है, वो है गाइडेंस देना और मार्किंग करना.
यानी शरीर के अंदर जब कोई वायरस आ जाता है तो वायरस को पहचानने का काम करती हैं, वायरस कहां पर इस बारे में ये इम्यून सिस्टम को सूचना देती हैं. वायरस में कहां अटैक करना है या इस वायरस का नाजुक और मजबूत पॉइंट कौन-सा है, इस बारे में भी जानकारी देती हैं. इससे बॉडी के डिफेंस सिस्टम को वायरस का खात्मा करने में आसानी होती है. इसी तरह इन सेल्स ने कोरोना वायरस के फ्यूचर वैरिएंट्स से बचने की राह भी दिखाई है.
इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के वैज्ञानिकों ने कोरोना पर की जा रही अपनी एक ताजा रिसर्च में पाया है कि शरीर का डिफेंस सिस्टम अब कोरोना वायरस को पहचानने लगा है. अब हमारे शरीर को पता है कि इस वायरस से कैसे निपटना है और कैसे इसे हराना है. कोरोना वायरस के दौरान होने वाले सर्दी-जुकाम में डिफेंस करने वाली टी-सेल्स ने वायरस के उस प्रोटीन की पहचान की है, जो सबसे कम म्यूटेट होते हैं.
आपको याद दिला दें कि कोरोना वायरस की ऊपरी परत प्रोटीन से बनी होती है. इसी परत में स्पाइक्स लगे होते हैं, जो शरीर के अंदर इस वायरस को अंदरूनी कोशिकाओं से चिपकने में मदद करते हैं. कोरोना की इस ऊपरी परत में कुछ प्रोटीन ऐसे हैं, जो जल्दी-जल्दी म्यूटेशन करते हैं तो कुछ प्रोटीन ऐसे भी हैं, जो बहुत कम म्यूटेशन करते हैं. ताजा रिसर्च में टी-सेल्स द्वारा इन्हीं प्रोटीन की पहचान की गई है.
अब इन प्रोटीन की मदद से वैज्ञानिकों को भविष्य में आने वाले कोरोना वैरिएंट्स के लिए अभी से प्रभावी वैक्सीन और दवाएं बनाने में सहायता मिलेगी. ताकि आने वाले समय में कोरोना को जल्दी से नियंत्रित किया जा सके. दूसरी बात यह भी है कि इन प्रोटीन की मदद से ऐसी नई वैक्सीन भी बनाई जा सकती है, जो भविष्य में आने वाले कोरोना वायरस वैरिएंट्स को ही रोक दे. क्योंकि इस वैक्सीन लगने के बाद इस वायरस का म्यूटने ना के बराबर हो जाएगा.
हालांकि इस सबमें अभी समय लगेगा और हमारे वैज्ञानिकों को अधिक रिसर्च के साथ ही कई और स्टडीज की भी जरूरत होगी. लेकिन इस खबर ने मुश्किल भरे इस समय में राहत मिलने की आस जरूर जगाई है. तब तक आप कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज जरूर लगवा लें और अपनी बारी आने पर बूस्टर डोज लेना ना भूलें.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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