वैज्ञानिकों ने हाल ही में पता लगाया है कि पॉलीप्लॉइड जोकि एक बहुत बड़ा कैंसर सेल होता है.  जिन्हें PGCC के नाम से भी जाना जाता है. ऐसे कैंसर इलाज के बाद भी वापस से शरीर में पनपने लगते हैं. 'द मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ कैरोलिना' (MUSC) हॉलिंग्स कैंसर सेंटर के शोधकर्ताओं ने इस बात का खुलासा करते हुए एक बड़ी सफलता हासिल की है कि कभी-कभी कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी के बाद ही इस वजह से कैंसर वापस आ जाता है.


कुछ कैंसर के सेल्स बहुत तेजी में पनपने लगते हैं


कुछ कैंसर के सेल्स ऐसे होते हैं जो काफी वक्त बाद भी अपने हिसाब से वापस से अटैक करते हैं. जिसके कारण ट्यूमर फिर उभरने लगता है.  हाल ही में, 'हॉलिंग्स कैंसर सेंटर' में पीएचडी क्रिस्टीना वोएलकेल-जॉनसन के नेतृत्व में एक टीम ने इस खास तरह की जीन की पहचान की. जिसे प्रोस्टेट कैंसर कोशिकाएं पीजीसीसी बनने के लिए हेरफेर करती हैं. जिससे वे थेरेपी से खुद को बचाती हैं. टीम ने यह भी पाया कि पीजीसीसी बाद में कैंसर के सेल्स बहुत ही तेजी में बढ़ने लगते हैं.


'जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल केमिस्ट्री' में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक


'जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल केमिस्ट्री' में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक एयूएससी हॉलिंग्स कैंसर सेंटर में वोएलकेल-जॉनसन और उनकी टीम ने रेडियोथेरेपी के बाद स्थायी इलाज से जुड़े एक अवरोधक का अध्ययन करते समय एक महत्वपूर्ण खोज की है. ये PGCCs, जो दूसरे कैंसर की सेल्स से काफी ज्यादा अलग हैं. अपने साइटोप्लाज्म को विभाजित किए बिना आराम से फैल सकते हैं. इस तरह के कैंसर वापसी करते हैं. 


कुछ कैंसर के सेल्स सर्जरी या इलाज, थेरेपी के दौरान ठीक से नहीं मरती है. बल्कि इसके जरिए कैंसर को PGCCs को फैलने से रोकता है. ये अजीब दिखने वाले PGCCs या दूसरे कैंसर कोशिकाओं से काफी अलग होती है. हालांकि, साइटोप्लाज्म मल्टीपल नहीं होता है लेकिन फिर यह तेजी से फैलती है. वोएलकेल-जॉनसन और उनकी टीम ने सेल-सिग्नलिंग मार्गों की पहचान की. जिसका उपयोग कैंसर कोशिकाएं थेरेपी तनाव के तहत PGCCs बनने के लिए करती हैं.


प्रोटीन, p21, जो आमतौर पर खतरनाक कैंसर सेल्स है जो डीएनए में फैलने के लिए p53 बनाता है. p53 की कमी वाले कैंसर कोशिकाओं में अलग तरह से व्यवहार करता है. यह सेल्स p21 क्षतिग्रस्त डीएनए दोहराव को नहीं रोकता है. जिसके कारण GCC का निर्माण आसान हो जाता है. लेकिन तेजी से बढ़ रहे इन कैंसर के सेल्स को रोकने के लिए टैमोक्सीफेन और स्टैटिन जैसी दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है. 


PGCC को बनने से रोकने के लिए इन दवाओं को कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी का सहारा लिया जाता है. वोएलकेल-जॉनसन PGCC विभिन्न कैंसर में पुनरावृत्ति दरों पर संयोजन उपचार के प्रभावों की खोज करने के लिए आगे की जांच की योजना बना रहे हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 


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