वो पांच कारण जिसकी वजह से बर्बाद हो रहे हैं पुरुषों के स्पर्म, वैज्ञानिकों ने दी ये चेतावनी
प्रदूषण, धूम्रपान, वैरिकोसेले, मधुमेह, टेस्टिक्यूलर ट्यूमर और उम्र का शुक्राणु कोशिकाओं की गुणवत्ता पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ सकता है.
स्टडी में हुए चौंकाने वाले खुलासे
डीएनए विखंडन विश्लेषण वर्तमान में शुक्राणु कोशिकाओं की कार्यक्षमता का निर्धारण करने के लिए एकमात्र साक्ष्य-आधारित परीक्षण है.डीएनए जितना अधिक खंडित होगा, शुक्राणु की फर्टिलिटी की क्षमता उतनी ही कम होगी; इसके अलावा, यह गर्भपात के जोखिम को बढ़ा सकता है.वैज्ञानिकों ने लगभग 27,000 अध्ययनों पर अपना शोध आधारित किया, जिसे अब तक का सबसे बड़ा मेटा-विश्लेषण माना जाता है.
धूम्रपान से सीमन के क्वालिटी पर असर
वर्तमान अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने प्रदर्शित किया कि नॉन स्मोकर की तुलना में धूम्रपान करने वालों में डीएनए के विखंडन को औसतन 9.19% तक बढ़ा सकता है.धूम्रपान से सीमेन की क्वालिटी पर असर पड़ता है और शुक्राणु इन एक्टिव होने लगते हैं. इसके अलावा, शुक्राणु की गुणवत्ता में शराब के सेवन और शरीर के वजन की नैदानिक रूप से महत्वपूर्ण भूमिका नहीं थी. वहीं क्लैमाइडिया और एचपीवी जैसे कुछ संक्रमणों ने शुक्राणु की गुणवत्ता को ख़राब नहीं किया, लेकिन बैक्टीरिया या अन्य यौन संचारित रोगों ने डीएनए विखंडन (8.98 प्रतिशत और 5.54 प्रतिशत) में वृद्धि दिखाई.
इन वजहों से भी लो होता है स्पर्म काउंट
महिलाओं की तरह ही उम्र के साथ कम स्पर्म काउंट और इनफर्टिलिटी का खतरा बढ़ जाता है. 30 साल के बाद टेस्टोस्टेरोन स्तर के उत्पादन में कमी आती है, जो शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है. वहीं 40 से 70 साल की उम्र के पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन होने की संभावना 3 गुना बढ़ जाती है जिससे कम संख्या में शुक्राणु निकलता है.वहीं कोकीन और मरिजुआना जैसी नशीली पदार्थ का लंबे समय तक इस्तेमाल शुक्राणुओं की कमी का कारण बनता है.
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