HIV Breakthrough: 'एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर' के रिसर्चर ने दावा किया है कि उनके लैब में प्रयोग के जरिए संक्रमित कोशिकाओं से HIV वायरस खत्म कर दिया गया है. एचआईवी वायरस को खत्म करने के लिए वह जिस शब्द का इस्तेमाल करते हैं उसे क्रिस्प कहते हैं. क्रिस्प डीएनए स्ट्रैंड को काटने के लिए एक स्पेशल एंजाइमों का इस्तेमाल किया जाता है. यह एंजाइम उस तरह काम करती है जैसे कैंची करती है.
क्रिस्प के इस्तेमाल से वायरस खत्म
डॉ. एलेना हेरेरा-कैरिलो के मुताबिक यह तकनीक वायरस को खत्म करने का काम करती है. 'द सन' में छपी खबर के मुताबिक चिकित्सा प्रौद्योगिकी में प्रगति के कारण 95% से अधिक ब्रिटिश लोगों को इसका खतरा कम होता है. हालांकि, यह स्थिति उन लोगों के लिए घातक हो सकती है कि बीमारी से अनजान हैं या गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच के बिना अविकसित देशों में रहते हैं.
क्रिस्प्र जीन-संपादन तकनीक कैंची की तरह लेकिन आणविक स्तर पर काम करती है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार यह डीएनए को काट देता है ताकि "खराब" हिस्से को हटाया या निष्क्रिय किया जा सके. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वे अंततः शरीर को वायरस से पूरी तरह से छुटकारा दिलाने में सक्षम होंगे. लेकिन इस बात पर प्रकाश डाला कि सुरक्षा और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए और अधिक काम करने की आवश्यकता है. एचआईवी रोगियों के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं वायरस को रोकती हैं लेकिन इसे खत्म नहीं करती हैं.
एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय ने इस सप्ताह एक चिकित्सा सम्मेलन में अपने शुरुआती निष्कर्षों का सारांश प्रस्तुत किया. उन्होंने स्पष्ट रूप से रेखांकित किया कि उनका काम केवल अवधारणा का प्रमाण बनकर रह गया है और निकट भविष्य में एचआईवी का इलाज नहीं बन पाएगा.
भविष्य की चिकित्सा के लिए पूरे शरीर में इन कोशिका परीक्षणों के परिणाम प्रदर्शित करने के लिए बहुत अधिक काम करने की आवश्यकता होगी. एचआईवी से पीड़ित लोगों पर इसका प्रभाव पड़ने से पहले और अधिक विकास की आवश्यकता होगी. नॉटिंघम विश्वविद्यालय में स्टेम-सेल और जीन-थेरेपी प्रौद्योगिकियों के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जेम्स डिक्सन ने समाचार एजेंसी बीबीसी के हवाले से कहा था.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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