आज के समय में इंटरनेट जानकारी इकट्ठा करने का एक बहुत बड़ा जरिया बन गया है. आज हम अपने घर में बैठे बैठे दुनिया भर की तमाम जानकारी एक क्लिक पर पा सकते हैं. लोग बीमार होने पर अपनी बीमारी के लक्षण, उस से बचाव, उस से होने वाली परेशानी और उसके इलाज को लेकर भी इंटरनेट पर सर्च करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है इंटरनेट पर अपनी बीमारी को लेकर की जा रही सर्च आपको और बीमार कर सकती है.
हेल्थ एक्स्पर्ट डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, आज कल छोटी से छोटी समस्या होने पर हम सबसे पहले इंटरनेट पर इसके बारे में सर्च करना शुरू कर देते हैं. हाल फिलहाल में कोरोना महामारी से बचाव को लेकर इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है.
हालांकि इंटरनेट से बीमारी की जानकारी जुटाते वक्त हमें बेहद सावधान रहने की जरुरत है. हमें सबसे पहले ये जान लेना बेहद जरूरी है कि इंटरनेट से जो भी जानकारी हमें मिल रही है वो सही है कि नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि इंटरनेट पर बीमारियों को लेकर ज्यादातर आधी-अधूरी और गलत जानकारियां भी मौजूद रहती है. इन जानकारियों का रियल लाइफ में इस्तेमाल हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक साबित हो सकता है.
इंटरनेट पर सर्च करने से कैसे बढ़ती है बीमारी
डॉक्टर अबरार मुल्तानी के मुताबिक, मान लीजिए आपके सर में दर्द होता है और आप इंटरनेट पर इसके कारणों के बारे में सर्च करते हैं. तो आपको ब्रेन ट्यूमर से लेकर थकान ऐसे कई कारणों की लिस्ट मिलती है. लेकिन इंसानी फितरत या सोच ये है कि उसका ध्यान सबसे पहले उन बातों की तरफ आकर्षित होता है जो सबसे ज्यादा खतरनाक होती हैं. इसलिए ये नैचुरल ही है कि वो सबसे पहले अपने सरदर्द को ब्रेन ट्यूमर से जोड़ेगा. इसके चलते जो डर उसके दिलों-दिमाग में पनपेगा वो उसकी नींद पर सबसे पहले असर डालेगा. साथ ही उसकी घबराहट और बेचैनी भी बढ़ती जाएगी. ये सभी बातें आपके मामूली से सरदर्द को और खतरनाक बीमारी में तब्दील कर सकती हैं.
मेडिकल साइन्स में इस बीमारी का नाम है Cyberchondria
डॉक्टर अबरार मुल्तानी ने बताया, इस बीमारी को मेडिकल साइन्स में Cyberchondria कहते हैं. इसमें इंटरनेट पर सर्च करने के बाद इंसान की अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंता बढ़ने लग जाती है. डॉक्टर अबरार मुल्तानी के मुताबिक Cyberchondria बीमारी में कोई भी इंसान मामूली सी खांसी और दर्द को भी गंभीर बीमारी समझने लगता है. इसके बाद वो डॉक्टर के पास जाकर जरुरत ना होने पर भी ज्यादा से ज्यादा टेस्ट कराने पर जोर देता है.
डॉक्टर अबरार मुल्तानी ने बताया, "हमारे पास भी इस तरह के कई मरीज आते हैं. ये लोग गैस के चलते होने वाले मामूली से सीने के दर्द को भी हार्ट अटैक समझते हैं और ख़ुद का ECG या Echo कराने पर जोर देते है." साथ ही डॉक्टर अबरार ने बताया कि, इंटरनेट ही नहीं हमारे आसपास के लोग भी इस Cyberchondria बीमारी का कारण बन सकते हैं.
कैसे करें Cyberchondria बीमारी से अपना बचाव
डॉक्टर अबरार मुल्तानी के मुताबिक, Cyberchondria से बचने के लिए ये जरूरी है कि आप इंटरनेट पर किसी भी बीमारी को लेकर मौजूद जानकारी को अंतिम सत्य ना समझें. उन्हीं वेबसाइट पर जाकर सर्च करें जहां एक्स्पर्ट्स की राय मौजूद हो. अगर आप बीमार पड़ते हैं तो सबसे पहले डॉक्टर के पास जाए. डॉक्टर की ही राय पर सबसे ज्यादा भरोसा करें और उनकी सलाह के बिना किसी भी तरह की दवाई ना लें.
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