हर साल पूरी दुनिया में सितंबर के महीने में ब्लड कैंसर जागरूकता महीने के रूप में मनाया जाता है. आज हम बात करेंगे कितने तरह के ब्लड कैंसर होते हैं?  उनके प्रकार और प्रभाव से जुड़ी जानकारी.  इंडियन एक्सप्रेश में छपी खबर के मुताबिक अगर इस बीमारी का पता समय रहते चल जाए तो मरीज को बचाया जा सकता है. या सही इलाज से उसकी जिंदगी में कुछ साल जोड़े जा सकते हैं. आज इस आर्टिकल में बात करेंगे कैंसर कितने तरह के होते हैं और इसे लेजर के इलाज से कैसे ठीक किया जा सकता है. 


मायलोइड्सप्लास्टिक सिंड्रोम (एमडीएस)


एमडीएस दुर्लभ रक्त विकारों का एक समूह है जिसमें अस्थि मज्जा पर्याप्त स्वस्थ रक्त कोशिकाओं का उत्पादन नहीं करता है. इससे एनीमिया, संक्रमण और रक्तस्राव की समस्या हो सकती है. कुछ मामलों में एमडीएस तीव्र ल्यूकेमिया में बदल सकता है, जिससे शीघ्र निदान और उपचार महत्वपूर्ण हो जाता है.


मायलोप्रोलिफेरेटिव नियोप्लाज्म (एमपीएन)


एमपीएन ब्लड कैंसर में बोन मैरो में ब्लस सेल्स काफी ज्यादा बढ़ने लगता है.पॉलीसिथेमिया वेरा, एसेंशियल थ्रोम्बोसाइटेमिया और मायलोफाइब्रोसिस जैसी स्थितियां इस श्रेणी में आती हैं. थकान, रक्त के थक्के और ल्यूकेमिया के बढ़ते जोखिम जैसे लक्षणों के कारण एमपीएन किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है.


हेयरी सेल ल्यूकेमिया (HCL)


एचसीएल ल्यूकेमिया का एक गंभीर बीमारी बी कोशिकाओं को प्रभावित करता है. माइक्रोस्कोप के नीचे देखने पर कैंसर कोशिकाओं की सतह पर बाल जैसे उभार के कारण इसका नाम पड़ा. हालांकि इसे धीमी गति से बढ़ने वाला कैंसर माना जाता है, फिर भी एचसीएल का इलाज करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है.


वाल्डेनस्ट्रॉम मैक्रोग्लोबुलिनमिया


यह एक दुर्लभ प्रकार का लिंफोमा है जो अस्थि मज्जा और रक्त को प्रभावित करता है. इसमें इम्युनोग्लोबुलिन एम (आईजीएम) नामक प्रोटीन का अत्यधिक उत्पादन शामिल है, जिससे थकान, रक्तस्राव और तंत्रिका संबंधी समस्याएं जैसे लक्षण हो सकते हैं.


क्रोनिक इओसिनोफिलिक ल्यूकेमिया (सीईएल)


सीईएल क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया का एक दुर्लभ उपप्रकार है जो मुख्य रूप से ईोसिनोफिल्स, एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका को प्रभावित करता है. यह त्वचा पर चकत्ते, थकान और अंग क्षति सहित कई प्रकार के लक्षण पैदा कर सकता है.