Squint Or Starbisums: हम सभी की दोनों आंखों में अच्छा तालमेल होता है दोनों एक ही दिशा में और एक ही पॉइंट पर फोकस करती है लेकिन कई लोग ऐसे होते हैं जो भैंगेपन के शिकार होते हैं. यह विकार आमतौर पर आंखों की मांसपेशियों के खराब नियंत्रण के कारण होता है. अगर आपके बच्चे के साथ ऐसी कोई भी समस्या हो रही है, तो आप सतर्क हो जाएं नहीं तो इससे आपका बच्चा अंधा भी हो सकता है. यह सिर्फ बच्चों में ही नहीं बल्कि बड़ों में भी हो सकता है.


क्या होता है भैंगापन?


भैंगापन जिसे सिक्वंट या स्ट्राबिस्मस या क्रॉस्ड आईस कहते हैं, आखों से संबंधित एक ऐसी समस्या है जिसमें दोनों आंखें ठीक तरह से अलाइन में नहीं होती है. एक आंख अंदर की ओर या बाहर की ओर या नीचे की ओर या उपर की ओर हो जाती है. ऐसी स्थिति में दोनों आंखें एक साथ एक बिंदु पर केंद्रित नहीं हो पाती है.


भैंगेपन के कुछ सामान्य लक्षण


भैंगेपन के शिकार बच्चों के कॉर्निया में ड्राइनेस आने लगती है. आंखों से पानी गिरता है. सिर दर्द, आंखों का लाल होना, इसके मुख्य लक्षण हैं.दरअसल इस बीमारी में बच्चे का एक आंख पूरी तरह स्वस्थ होता है जिससे बच्चा अपने दूसरी आंखों से देखने का प्रयास ही नहीं करता इस कारण दूसरे आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम हो जाती है दिमाग भी उस आंख को भूलकर दूसरे पर ही काम करता है इसलिए बच्चे को देखने में समस्या नहीं होती. इसकी वजह से आंखों की रोशनी भी जा सकती है.


क्या है कारण?



  •  बच्चों में भैंगेपन के ज्यादातर मामले जन्मजात ही होते हैं, गर्भ में शारीरिक विकास में समस्या आने पर दिमाग, आंख की मांसपेशियां और तंत्रिकाओं में संचार असामान्य हो जाता है, जिससे दोनों आंखों का तालमेल प्रभावित होता है.

  • अगर परिवार में कोई सदस्य भैंगेपन का शिकार है तो नवजात शिशु में इसके होने की संभावना बढ़ जाती है. यह बच्चों में जन्म के पहले 5 सालों में भी विकसित हो सकता है.

  • किसी दुर्घटना के कारण दिमाग में चोट लग जाना या आंखों की तंत्रिकाओं या आंखों का पर्दा का क्षतिग्रस्त हो जाना भी इसका एक कारण है.


इस तरह होता है डायग्नोसिस



  • भैंगेपन का पता लगाने के लिए कार्नियल आई रिफ्लेक्स टेस्ट किया जाता है इसमें ये पता लगाया जाता है कि आमख में भैंगापन कितना है और किस प्रकार का है

  • ये पता लगाने के लिए की पीड़ित की दृष्टि सामान्य है या भैंगेपन के कारण कोई प्रभाव पड़ा है तो विजुअल एक्युटी टेस्ट किया जाता है.

  • अगर मरीज में भैंगेपन के अलावा कुछ शारीरिक लक्षण है तो दूसरी स्थितियों का पता लगाने के लिए मास्तिष्क और तांत्रिका तंत्र की जांच की जाती है.


क्या है इसका इलाज



  • आंखों की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए आंखों का व्यायाम भी किया जाता है. पेंसिल पुश अप सबसे अच्छी आंखों की एक्सरसाइज मानी जाती है.

  • जिस किसी को भी ये समस्या होती है उसे आईपैच यानी की आंख की पट्टी के इस्तेमाल द्वारा भी इसको ठीक किया जाता है.

  • बोटोक्स इंजेक्शन आंखों की सतह की मांसपेशी पर लगाया जाता है.

  • सर्जरी भी एक विकल्प है यह तब की जाती है जब दूसरे इलाज से कोई लाभ नहीं पहुंचता सर्जरी में आंखों को रिअलाइन किया जाता है.


आंखों को स्वस्थ रखने के लिए ये डाइट करें फॉलो



  • आंखों की रोशनी बनाए रखने के लिए आपको अलग-अलग तरह के विटामिंस मिनिरल्स और न्यूट्रिएंट्स लेने चाहिए.

  • सेलमन, टूना, सार्डिक, हलिबूट जैसी ठंडे पानी की मछलियों से मिलने वाला ओमेगा 3 फैटी एसिड, आंख रोग के विकास के जोखिम को कम करता है. ये एक वयस्क की आंख को ड्राई आई सिंड्रोम से बचाने में मदद करता है.

  • संतरे सहित और भी खट्टे फल जैसे अंगूर कीनू टमाटर और नींबू विटामिन सी में उच्च होते हैं, यह ऐसे एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है. विटामिन सी कोलेजिन पैदा करता है, जो आंखों के लिए जरूरी है.