जब हमारे शरीर में खराब सेल्स अनियंत्रित रूप से बनने लगते हैं तो उसे कैंसर या कैंसर का ट्यूमर कहते हैं. अगर आपके फेफड़ों में अनियंत्रित रूप से सेल्स बढ़ रहे हैं तो उसे फेफड़ों का कैंसर कहते हैं या लंग्स कैंसर कहते हैं. फेफड़ें में कैंसर होने की सबसे बड़ी वजह होती है बहुत ज्यादा स्मोकिंग करना. आजकल वो लोग भी लंग्स कैंसर का शिकार हो रहे हैं जो स्मोकिंग नहीं करते हैं. कैंसर हम हमारी जिंदगी का साइलेंट किलर हो गया है. यह एक तरह का लाइलाज बीमारी है. 


सांस फूलने पर हो सकता है लंग्स कैंसर?


लंग्स कैंसर के लक्षण आमतौर पर एकदम मामलू होते हैं. जिसे अक्सर लोग इग्नोर कर देते हैं. लेकिन इसी वक्त आप सबसे बड़ी चूक करते हैं. लंग्स कैंसर के सबसे कॉमन लक्षण हैं खांसी. सुखी खांसी. ऐसा खांसी जो जल्दी ठीक नहीं होती है. अगर काफी ज्यादा सांस फूल रही है या सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो आपको बिना समय गवाएं डॉक्टर को दिखाना चाहिए. 


इन बीमारियों में सांस फूलने लगती है


स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जो सांस की तकलीफ़ का कारण बन सकती हैं, उनमें शामिल हैं, फेफड़ों की समस्याएं, जैसे अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज़ (सीओपीडी) या फेफड़ों का कैंसर, दिल की समस्याएं, जैसे दिल का दौरा या दिल का रुकना। आपके वायुमार्ग के संक्रमण, जैसे कि क्रुप, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, कोविड-19, फ्लू या यहां तक कि सर्दी.


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सिर्फ कैंसर में ही नहीं इन बीमारियों में भी फूलने लगती है सांस


फेफड़ों की स्थिति: जैसे अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), वातस्फीति, निमोनिया, पल्मोनरी फाइब्रोसिस और पल्मोनरी हाइपरटेंशन


दिल की बीमारी: जैसे कार्डियोमायोपैथी, कंजेस्टिव हार्ट फेलियर, डायस्टोलिक डिसफंक्शन, सिस्टोलिक वेंट्रिकुलर डिसफंक्शन और असामान्य हृदय लय.


सांस की नली में इंफेक्शन: जैसे तीव्र ब्रोंकाइटिस, काली खांसी और क्रुप


कैंसर: जैसे फेफड़ों का कैंसर या फेफड़ों में फैल चुका कैंसर


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एनीमिया: लाल रक्त कोशिकाओं की कम संख्या


चिंता और घबराहट के दौरे: सांस लेने में तकलीफ और खांसी हो सकती है


एलर्जी: सांस लेने में तकलीफ हो सकती है


पल्मोनरी एम्बोलिज्म: फेफड़ों में रक्त का थक्का जो सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, चक्कर आना या बेहोशी का कारण बन सकता है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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