Diet Plan For Sawan: सावन का महीना और भादो का महीना बारिश का समय हैं और आयुर्वेद (Ayurveda) के अनुसार, वर्षा ऋतु (rainy season) की अपनी वर्षा ऋतुचर्या (Lifestyle) होती है. जो लोग इसका पालन करते हैं उन्हें किसी तरह के रोग (Disease) और स्वास्थ्य समस्याओं (Health Issues) का सामना नहीं करना पड़ता है. अब ये वर्षा ऋतुचर्या क्या है और इसमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इस बारे में हमने बात की आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर सुरेंद्र सिंह राजपूत से. ये पिछले 40 वर्षों से आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धिति के अनुसार रोगियों का उपचार कर रहे हैं.


सावन में किस तरह के बदलाव होते हैं?


वर्षा ऋतु गर्मी के मौसम के बाद आती है और बारिश के कारण जेठ और आषाढ़ की गर्मी तो शांत हो जाती है, लेकिन धरती में समाई हुई गर्मी वाष्प के रूप में ऊपर निकलती है. ऐसी स्थिति में शरीर में भी डिहाइड्रेश होता है क्योंकि शरीर से भी पसीने के रूप में पानी बाहर निकलता है. साथ ही शरीर में लवण और अम्ल की कमी होने लगती है. 


वर्षा ऋतु में पाचन कमजोर हो जाता है. किसी को दस्त तो किसी को कब्ज की समस्या हो जाती है. इस स्थिति में तीनों दोष कभी बढ़ते और घटते रहते हैं. आयुर्वेद में स्वास्थ्य के लिए तीन दोषों को मुख्य माना गया है. ये हैं वात, पित और कफ. स्वस्थ रहने के लिए शरीर में इनका संतुलित होना आवश्यक होता है, लेकिन बरसात में कमजोर पाचकाग्नि (Digestive Power) के कारण इनमें असंतुलन आता रहता है.


सावन में क्या खाएं?
वर्षा ऋतु में ऐसे भोजन का सेवन करना चाहिए जो शरीर के इन तीनों दोषों का नाश करने वाली हों. यानी इन्हें बढ़ने ना दें. ऐसे भोज्य पदार्थों को त्रिदोष नाषक कहा जाता है. जैसे, आंवला, नींबू और लिक्विड डायट का सेवन अधिक करना चाहिए. 



  • मूंग-मसूर की दाल

  • मूंग दाल की पतली खिचड़ी

  • बरसात के मौसम में आने वाली सब्जियां खानी चाहिए. 

  • बारिश के दिनों में भिड्डीं और अरबी जरूर खानी चाहिए ये बहुत पौष्टिक चीजें होती हैं. लेकिन इनके साथ कभी घी का सेवन नहीं करना चाहिए. क्योंकि इनमें से लस (चिपचिपा पदार्थ या चिकनाहट) निकलता है. इसलिए ये खुद ही शरीर को बहुत स्निग्धता देती हैं ऐसे में घी डालकर खाना नुकसान पहुंचाता है. क्योंकि अति हर चीज की वर्जित होती है.


सावन में क्या ना खाएं?



  •  जो इस ऋतु में पैदा नहीं होती हैं, उन सब्जियों और फलों का सेवन नहीं करना चाहिए. आजकल कोल्ड स्टोरेज से लाए गए फूड्स खाने का चलन है, जो सेहत के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है. 

  • पाचन कमजोर होने के कारण सावन के मौसम में कुछ विशेष सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए. जैसे, आलू, मटर, टमाटर इत्यादि. क्योंकि ये सब्जियां सर्दियों से होती हैं और इनका सेवन उसी सीजन में करना लाभ देता है. सर्दी के मौसम में इन सब्जियों का सेवन जितना लाभकारी है वर्षा ऋतु में उतना ही हानिकारक है.

  • बरसात में आलू, मटर, टमाटर जैसी सब्जियां खाने से शरीर को कई तरह की हानि होती है. जैसे, आलू क्षारीय (alkaline) होता है और सावन के महीने में उमस के कारण शरीर से अधिक पसीना निकल रहा होता है. पसीने के साथ शरीर से अम्ल निकलता है. अर्थात शरीर में पहले ही अम्ल की कमी है और क्षारीयता बढ़ी हुई है. ऐसे में जब आप आलू का सेवन करेंगे तो त्वचा पर खारिश-खुजली, दाद, फोड़े-फुंसी, बाल झड़ना इत्यादि समस्याएं बढ़ जाएंगी.

  • इसी तरह मटर और टमाटर को ना खाने का कारण यह है कि मटर शरीर में वात की वृद्धि करती है और टमाटर शरीर में अम्ल को बढ़ाता है. लेकिन सावन के महीने में आपको ऐसी चीजों का सेवन करना चाहिए जो त्रिदोष नाशक हों. यानी किसी भी एक गुण को बढ़ाने या घटाने का काम ना करें बल्कि एक संतुलन स्थापित रखें.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. 


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