Sitting-rising test: हम सभी अपनी फिटनेस को आंकने के लिए अलग-अलग एक्सरसाइज, व्यायाम या कुछ टेस्ट करते हैं. कई साल पहले एक टेस्ट खूब सुर्खियों में रहा था, जिसे सीटिंग राइजिंग टेस्ट (Sitting-rising test) का नाम दिया गया. ये टेस्ट ब्राजील के एक फिजिशियन ने इन्वेंट किया जिसका शोध परिणाम यूरोपियन जर्नल ऑफ कार्डियोवैस्कुलर प्रिवेंशन 2012 में पब्लिश किया गया था. ये टेस्ट व्यक्ति के फिटनेस लेवल और वह कितना जिएगा यानी जीवन प्रत्याशा के बारे में बताता है.


इस रिसर्च में मिडिल ऐज लोगों को खास तरह से उठने बैठने के लिए कहा गया. जो लोग आसानी से उठ-बैठ जाते थे, उन्हें फिट माना गया. टेस्ट में 51 से 80 साल के करीब 2002 लोग शामिल थे. इन लोगों पर उनके निधन या स्टडी पूरे होने तक नजर रखी गई. इस टेस्ट को पूरा होने में करीब 6.3 साल लगे. इस दौरान 159 लोगों की मृत्यु हो भी हो गई. आखिर में सीटिंग राइजिंग टेस्ट या इस स्टडी का निष्कर्ष ये निकला कि जिनका स्कोर कम था उनके जल्दी मरने के चांसेस 5 से 6 गुना ज्यादा थे.


कैसे करें ये टेस्ट 


दरअसल, ये टेस्ट करना बेहद ही आसान है और कोई भी इसे घर पर कुछ ही मिनटों में कर सकता है. इसके लिए आरामदायक कपड़े पहने और नंगे पैर खड़े हो जाए. अपने पैरों को क्रॉस करके नीचे बैठे. इसी तरह फिर खड़े हो जाएं. ध्यान रहे इस दौरान आपको किसी चीज का सहारा नहीं लेना है. टेस्ट के हिसाब से आप अपने आपको रेट करें. यदि बिना सपोर्ट के आप ये टेस्ट कर लेते हैं तो अपने आप को फुल अंक दें. वहीं अगर आपको उठने के लिए सहारे की जरूरत पड़ी तो आप खुद को कम अंक दें. 


सपोर्ट लेने वालों को है खतरा


टेस्ट के दौरान अगर आपने हाथ-घुटने या पैर का सपोर्ट लिया तो आपके पॉइंट्स कम हो जाएंगे. यदि व्यक्ति बिना किसी सहारे के उठ जाता है तो उसे हेल्दी और फ्लैक्सिबल माना जाएगा. ब्राजीलियन डॉक्टर द्वारा किए गए शोध में 0 से 3 स्कोर करने वाले लोगों को रिस्क पर रखा गया था जिन्हें टेस्ट में सहारे की जरूरत पड़ी थी.


कम स्कोर का मतलब मौत नहीं


टेस्ट का मतलब ये नहीं है कि जिन लोगों का स्कोर कम होगा उनकी मौत 5 से 6 सालों में हो जाएगी. दरअसल, अगर किसी व्यक्ति के पांव या जोड़ों में तकलीफ है तो तब भी वह कम स्कोर टेस्ट में कर पाएगा. लेकिन, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि एरोबिक फिटनेस हमारे सर्वाइकल से जुड़ी होती है. यह टेस्ट शरीर के बैलेंस के साथ लेग और कोर की ताकत को चेक करता है.


टेस्ट में आप कितना स्कोर करते हैं ये बात आपको अपनी फिटनेस पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करेगी. वहीं इस टेस्ट पर हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोई भी इंसान पैदाइशी एथलीट नहीं होता. ऐसे लोग जिनका स्कोर टेस्ट में कम रहता है उन्हें अपनी फिटनेस पर काम करने की जरूरत है. अच्छी लाइफस्टाइल और खान-पान से हम स्वस्थ्य रह सकते हैं.


आखिर सेहत के बारे में क्या बताता है टेस्ट?


दरअसल, ये टेस्ट शारीरिक क्षमता, ओवरऑल हेल्थ और फ्लेक्सिब्लिटी के बारे में बताता है. अगर किसी व्यक्ति को ये टेस्ट करने में दिक्कत होती है तो इसका मतलब वो फिट नहीं है और उसे अपनी फिटनेस पर ध्यान देना चाहिए. 


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