नई दिल्लीः एक रिसर्च के अनुसार, त्रासदी के दो साल बाद भी प्राकृतिक आपदा से बचे लोगों में नींद की गड़बड़ी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ी है.
कैसे और किन पर की गई रिसर्च-
स्लीप पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च में लगभग 31 वर्षों की औसत आयु वाले 165 प्रतिभागी (52 प्रतिशत पुरुष) शामिल थे. प्रतिभागी 2010 के भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में से एक पोर्ट-ए-प्रिंस हैती में रह रहे थे.
सर्वे के अनुसार, यह देश के इतिहास में सबसे विनाशकारी भूकंप था. आपदा ने लगभग दो लाख लोगों को मार डाला और 10 लाख से अधिक निवासियों को विस्थापित होने पर मजबूर होना पड़ा.
क्या कहते हैं शोधकर्ता-
न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय से रिसर्च के प्रमुख लेखक जूडिट ब्लैंक ने कहा, "2010 के हैती भूकंप के बचे लोगों में नींद की गड़बड़ी की व्यापकता की जांच करने वाला यह पहला महामारी विज्ञान का रिसर्च है."
ब्लैंक ने कहा, "हमारे रिसर्च में सामान्य आघात से संबंधित विकारों और जीवित बचे लोगों के समूह के मध्य कोमोरिड नींद की स्थिति के बीच मजबूत संबंध को रेखांकित किया गया है."
शोध के नतीजे-
शोधकर्ताओं ने भूकंप के बाद दो साल तक जीवित रहने वालों का सर्वे किया और पाया कि 94 प्रतिशत प्रतिभागियों ने अनिद्रा के लक्षणों और आपदा के बाद के जोखिम का अनुभव किया.
दो साल बाद 42 प्रतिशत में पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) का महत्वपूर्ण स्तर दिखा.लगभग 22 प्रतिशत में डिप्रेशन के लक्षण थे.
ये खबर शोध और एक्सपर्ट की के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.
मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है अशांत नींद, रिसर्च
एजेंसी
Updated at:
10 Jun 2019 10:07 AM (IST)
क्या आप जानते हैं यदि आप कई साल पहले किसी दुघर्टना से बचें हैं तो भी उसकी वजह से आपकी नींद में गड़बड़ी हो सकती है और इसका आपके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है. जानें, क्या कहती है ये रिसर्च.
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