Health Tips: सोना किसे पसंद नहीं होता, नींद हर किसी को प्यारी होती है. शारीरिक और मानसिक थकान को दूर करने के लिए अच्छी नींद लेना बहुत जरूरी है. फुर्सत की नींद सभी को प्यारी होती है खास करके महिलाएं अपना दिन भर का काम पूरा करके दोपहर के समय सो जाती हैं.हम में से कितने ऐसे लोग हैं जिन्हें वक्त मिलता है तो वो सीधे झपकी मारते हैं. वैसे तो डॉक्टर भी 7 से 8 घंटे की नींद लेने की सलाह देते हैं लेकिन इसके बावजूद अगर दिन में वक्त मिल जाता है तो भी हम खर्राटे मारने से पीछे नहीं हटते हैं. अगर आप भी ऐसा करते आ रहे हैं तो करना बंद कर दीजिए क्योंकि यह नींद आपको अंधा बना सकता है. रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अगर आप दिन में सोते हैं तो इससे आंखों पर बुरा असर पड़ता है शोधकर्ताओं का कहना है कि स्थिति ज्यादा गंभीर हो तो समस्या अंधेपन तक भी बढ़ सकती है.


स्टडी में हुआ खुलासा


ब्रिटेन के बायोबैंक की ओर से हुई एक स्टडी के मुताबिक 40 से 70 साल के बीच के उम्र वाले करीब 4 लाख से ज्यादा लोगों के डाटा पर आकलन हुआ. इस स्टडी में शामिल सभी लोगों की नींद की आदतों के बारे में पूछा गया जिसमें पाया गया कि 8,690 लोगों को ग्लूकोमा की शिकायत है. ऐसे में शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग रात में भरपूर नींद नहीं लेते और दिन में सोते वक्त खर्राटे भरते हैं, उनमें ग्लूकोमा का खतरा 11% तक बढ़ जाता है. दिन में सोने से आपकी आंखों की रोशनी जा सकती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि 2040 तक दुनिया भर के 11.2 करोड़ लोग ग्लूकोमा के शिकार हो सकते हैं.


इस वजह से बढ़ता है ग्लूकोमा का खतरा


एक्सपर्ट के मुताबिक के नींद की कमी या अनिद्रा की परेशानी की वजह से ग्लूकोमा का खतरा बढ़ जाता है, आंखों के दबाव से संबंधित ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचता है जिसे ग्लूकोमा के रूप में जाना जाता है यह आंखों की रोशनी जाने का कारण भी बन सकती है एक्सपर्ट के मुताबिक जिन लोगों को स्लीप एपनिया है उन्हें ग्लूकोमा विकसित होने की संभावना 10 गुना अधिक हो सकती है.ग्लूकोमा आंख से दिमाग को जोड़ने वाली ऑप्टिक तंत्रिका को प्रभावित करता है, इसमें आंख की प्रकाश संवेदनशील कोशिकाओं का क्षरण होता है, सही समय पर इलाज ना होने पर ग्लूकोमा से आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है.


 


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