Sleeping Disorders: नींद की कमी से सिकुड़ जाती हैं दिमाग की नसें, हो जाती हैं ये गंभीर बीमारी, स्टडी में खुलासा
ब्रेन को स्वस्थ्य रखने के लिए स्स्वस्थ्य नींद होना बेहद जरूरी है. पेरीफेरल आर्टरी डिजीज नींद की कमी से होने वाली बीमारी है. इसे ठीक करने के लिए अच्छी नींद बहुत जरूरी है.
Peripheral Artery Disease: जिस तरह डाइट हेल्दी होनी चाहिए. उसी तरह का नींद का हेल्दी होना बेहद जरूरी है. डॉक्टर सलाह देते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को 7 से आठ घंटे जरूर सोना चाहिए. इससे अधिक सोना भी सेहत के लिए ठीक नहीं है. मोटापा होने का खतरा बढ़ जाता है. वहीं, कम सोने पर मेंटल सिकनेस हो जाती है. मानसिक स्वास्थ्य का सही ढंग से विकास नहीं हो पाता है. नींद को लेकर समय समय पर स्टडी और रिसर्च होती रहती हैं. अब एक और नई स्टडी की गई है. इसमें कम सोने को लेकर हैरान करने वाला खुलासा हुआ है.
सिकुड़ जाती हैं दिमाग की नसें
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, स्वस्थ्य नींद को लेकर स्वीडन में एक स्टडी की गई. स्टडी में सामने आया कि जो लोग रात को 5 घंटे से कम सोते हैं. उन्हें पेरीफेरल आर्टरी डिजीज होने काखतरा 74 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. एक और भयानक आंकड़ा सामने आया कि दुनियाभर में करीब 200 मिलियन लोग पेरीफेरल आर्टरी डिजीज से पीड़ित हैं. इस बीमारी के बारे में जानकारी होना जरूरी है. जानने की कोशिश करते हैं कि बीमारी होती क्या है?
क्या होती है पेरीफेरल आर्टरी डिजीज
पेरीफेरल आर्टरी डिजीज एक ब्रेन से जुड़ी बीमारी है. इसमें दिगाम की नसों में कोलेस्ट्रॉल जम जाता है. इससे नसें सिकुड़ जाती हैं. नस सिकुड़ने के कारण प्रॉपर ब्लड पैरों और हाथों में नहीं पहुंच पाता है. ब्रेन को भी ब्लड कम मिलता है. इससे कई तरह की दिक्कतें बढ़ना शुरू हो जाती हैं. नसों के सिकुड़ने से स्ट्रोक या फिर हार्ट अटैक का खतरा भी रहता है.
बीमारी के लक्षण
अन्य बीमारियों की तरह पेरीफेरल आर्टरी डिजीज के भी लक्षण दिखाई देते हैं. इसमें पैरों या बाहों की मांसपेशियों में दर्द,ऐंठन होने लगती है. पैरों में सुन्नपन या कमजोरी आना, पैरों की उंगलियोें पर घाव, पैरों के रंगों में बदलाव आना, सिर के बालों का बढ़ना और पैरों के बालों का बढ़ जाना, पैरों के नाखूनों के बढ़ने की स्पीड बेहद कम होना, पैर की निचली सतह कुछ ठंडी होना शामिल है.
क्यों हो जाती है ये बीमारी?
जिन लोगों को मोटापा होता है. उन्हें इस बीमारी के होने का खतरा अधिक रहता है. स्मोकिंग, एज फैक्टर, डायबिटीज, हाई कॉलेस्ट्रॉल, हाइपरटेंशन, होमोसिस्टीन, जेनेटिक तौर पर ये बीमारी हो सकती है. हो सकता है कि परिवार में यह बीमारी रही हो तो इससे अगली पीढ़ी में इस बीमारी के होने का खतरा अधिक रहता है.
बचाव के लिए क्या करें?
नींद की कमी होने से ये बीमारी होती है. सबसे ज्यादा जरूरी है कि हर दिन 7 से 8 घंटा जरूर सोना चाहिए. इससे बीमारी ठीक होने में मदद मिलेगी. डाइट में हर दिन पोष्टिक आहार लेना चाहिए. फिजिकल एक्टिविटीज बढ़ा देनी चाहिए. यदि परेशानी बढ़ रही है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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