बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव हाल ही में स्लिप्ड डिस्क की समस्या के कारण व्हीलचेयर का इस्तेमाल कर रहे हैं. स्लिप्ड डिस्क एक ऐसी स्थिति है जिसमें रीढ़ की हड्डी की डिस्क खिसक जाती है, जिससे कमर और पैर में तेज दर्द होता है. आज हम जानेंगे कि स्लिप्ड डिस्क क्या है, इसके लक्षण क्या होते हैं और इससे बचने के तरीके क्या हैं. ताकि आप भी इस समस्या से बच सकें और हेल्दी रह सकें. 


स्लिप्ड डिस्क क्या है? 
स्लिप्ड डिस्क एक ऐसी स्थिति है जिसमें रीढ़ की हड्डी के बीच की नरम डिस्क खिसक जाती है या फट जाती है. यह डिस्क रीढ़ की हड्डियों को कुशन की तरह सुरक्षा देती है. जब यह खिसकती है, तो यह नसों पर दबाव डालती है, जिससे कमर, गर्दन और पैरों में तेज दर्द हो सकता है. आमतौर पर यह समस्या भारी सामान उठाने, गलत मुद्रा में बैठने, या उम्र बढ़ने के कारण होती है. सही देखभाल और व्यायाम से इसे ठीक किया जा सकता है. अगर दर्द ज्यादा हो, तो डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है.









स्लिप्ड डिस्क के लक्षण



  • कमर दर्द: कमर में लगातार दर्द रहना, जो हिलने-डुलने से और बढ़ जाता है.

  • पैरों में दर्द: कमर से पैर तक दर्द फैल जाना, जिससे चलने-फिरने में कठिनाई होती है.

  • सुन्नपन: पैरों या हाथों में सुन्नपन या झुनझुनी महसूस होना.

  • कमजोरी: मांसपेशियों में कमजोरी, जिससे चीजों को पकड़ने या उठाने में कठिनाई होती है. 


स्लिप्ड डिस्क के कारण



  • उम्र बढ़ना: उम्र के साथ डिस्क कमजोर हो जाती हैं और खिसक सकती हैं.

  • भारी सामान उठाना: गलत तरीके से भारी सामान उठाने से डिस्क पर दबाव पड़ता है.

  • गलत मुद्रा: लंबे समय तक गलत तरीके से बैठने या खड़े रहने से रीढ़ की हड्डी पर असर पड़ता है.

  • चोट: अचानक गिरने या दुर्घटना से रीढ़ की हड्डी में चोट लग सकती है. 


स्लिप्ड डिस्क से बचाव के उपाय



  • सही मुद्रा अपनाएं: बैठते और खड़े होते समय सही मुद्रा रखें.

  • वजन कंट्रोल में रखें: मोटापे से बचें, क्योंकि ज्यादा वजन रीढ़ की हड्डी पर दबाव डालता है.

  • सही तरीके से सामान उठाएं: भारी सामान उठाते समय घुटनों को मोड़ें और कमर सीधी रखें.

  • व्यायाम करें: रोज़ाना हल्के व्यायाम करें, जो कमर और पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाएं. 

  • आराम करें: पर्याप्त नींद लें और शरीर को आराम दें, ताकि वह ठीक हो सके.



स्लिप्ड डिस्क का इलाज



  • दवाईयां: डॉक्टर के परामर्श से दर्द निवारक दवाएं लें, जो दर्द और सूजन को कम करें.

  • फिजियोथेरेपी: नियमित फिजियोथेरेपी से मांसपेशियों की मजबूती बढ़ती है और दर्द में राहत मिलती है.

  • गर्म और ठंडा सेक: दर्द वाले हिस्से पर बारी-बारी से गर्म और ठंडा सेक करें.

  • सर्जरी: अगर दर्द बहुत ज्यादा हो और अन्य उपाय काम न करें, तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं.