स्लिप्ड डिस्क के लक्षण
- कमर दर्द: कमर में लगातार दर्द रहना, जो हिलने-डुलने से और बढ़ जाता है.
- पैरों में दर्द: कमर से पैर तक दर्द फैल जाना, जिससे चलने-फिरने में कठिनाई होती है.
- सुन्नपन: पैरों या हाथों में सुन्नपन या झुनझुनी महसूस होना.
- कमजोरी: मांसपेशियों में कमजोरी, जिससे चीजों को पकड़ने या उठाने में कठिनाई होती है.
स्लिप्ड डिस्क के कारण
- उम्र बढ़ना: उम्र के साथ डिस्क कमजोर हो जाती हैं और खिसक सकती हैं.
- भारी सामान उठाना: गलत तरीके से भारी सामान उठाने से डिस्क पर दबाव पड़ता है.
- गलत मुद्रा: लंबे समय तक गलत तरीके से बैठने या खड़े रहने से रीढ़ की हड्डी पर असर पड़ता है.
- चोट: अचानक गिरने या दुर्घटना से रीढ़ की हड्डी में चोट लग सकती है.
स्लिप्ड डिस्क से बचाव के उपाय
- सही मुद्रा अपनाएं: बैठते और खड़े होते समय सही मुद्रा रखें.
- वजन कंट्रोल में रखें: मोटापे से बचें, क्योंकि ज्यादा वजन रीढ़ की हड्डी पर दबाव डालता है.
- सही तरीके से सामान उठाएं: भारी सामान उठाते समय घुटनों को मोड़ें और कमर सीधी रखें.
- व्यायाम करें: रोज़ाना हल्के व्यायाम करें, जो कमर और पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाएं.
- आराम करें: पर्याप्त नींद लें और शरीर को आराम दें, ताकि वह ठीक हो सके.
स्लिप्ड डिस्क का इलाज
- दवाईयां: डॉक्टर के परामर्श से दर्द निवारक दवाएं लें, जो दर्द और सूजन को कम करें.
- फिजियोथेरेपी: नियमित फिजियोथेरेपी से मांसपेशियों की मजबूती बढ़ती है और दर्द में राहत मिलती है.
- गर्म और ठंडा सेक: दर्द वाले हिस्से पर बारी-बारी से गर्म और ठंडा सेक करें.
- सर्जरी: अगर दर्द बहुत ज्यादा हो और अन्य उपाय काम न करें, तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं.