नई दिल्लीः अक्सर देखा गया है कि जो लोग अकेले होते हैं या फिर भावानात्मक रूप से कमजोर होते हैं. साथ ही ऐसे लोग जो चिंता और डिप्रेशन से पीड़ित होते हैं उन्हें स्मार्टफोन की लत पड़ने की आशंका ज्यादा होती है. हाल ही में आई एक रिसर्च में ये सामने आया है.
क्या कहत है रिसर्च-
शोध में पाया गया है कि भावनात्मक रूप से कम स्थिर होना स्मार्टफोन व्यवहार से जुड़ा हुआ है. रिसर्च में पाया गया कि ऐसे लोग जो अपने मानसिक स्वास्थ्य से संघर्ष करते हैं, उनमें अपने स्मार्टफोन के इस्तेमाल की संभावना ज्यादा होती है. ये लोग अपने फोन का इस्तेमाल मेडिकल थेरेपी के रूप में करते हैं. रिसर्च में ये भी पाया गया कि कम ईमानदार व्यक्ति के फोन के इस्तेमाल करने की लत ज्यादा होने की संभावना होती है.
रिसर्च के नतीजों से पता चलता है कि चिंता का स्तर बढ़ने से स्मार्टफोन का इस्तेमाल भी बढ़ता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
ब्रिटेन के डर्बी विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान जहीर हुसैन का कहना है कि इस शोध में स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर विभिन्न प्रकार के मनोवैज्ञानिक कारकों के परस्पर प्रभाव को उजागर किया गया है.
ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.