Mobile Phone Side Effect: अंधेरे में फोन चलाया, महिला की आंखों की रोशनी चली गई... आखिर क्या है ये खतरनाक सिंड्रोम
अधिक समय तक मोबाइल चलाना हेल्थ के लिहाज से ठीक नहीं है. एक महिला की आंखों की रोशनी तक चली गई है. महिला स्मार्टफोन विज़न सिंड्रोम से पीड़ित थी
Smart Phone Vision Syndrome: आप भी मोबाइल चलाने के शौकीन होंगे. हो सकता है कि घंटों समय मोबाइल पर ही गुजारते हो. मनोवैज्ञानिक इसे दिमाग और सेहत दोनों के लिए ही नुकसान मानते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि एक ओर जहां अधिक मोबाइल चलाने से आंखों की रोशनी पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. वहीं, अधिक मोबाइल चलाना किसी भी व्यक्ति को डिप्रेशन, एंग्जाइटी और चिड़चिड़ापन का शिकार बनाता है. मोबाइल से दूरी बनाना जरूरी है. मगर ऐसा कुछ लोग नहीं कर पाते हैं. देश में एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां रात के अंधेरे में अधिक समय तक मोबाइल चलाने से महिला की आंखों की रोशनी तक चली गई.
हैदराबाद की महिला की गई आंखों की रोशनी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मोबाइल की वजह से आंखों की रोशनी जाने का यह अपने आप में अनोखा मामला है. हैदराबाद में रहने वाली 30 वर्षीय महिला इस हादसे का शिकार बनी है. महिला को घंटों फोन चलाने की लत थी. अंधेरे में रोशनी तेज कर इसका प्रयोग अधिक करती थी. इसकी वजह से उसे करीब 18 महीने तक अंधेपन से जूझना पड़ा.
स्मार्टफोन विज़न सिंड्रोम से हो गई थी पीड़ित
महिला का उपचार कर रहे डॉक्टर ने सोशल मीडिया पर बताया कि महिला को देखने में स्पॉट्स, तेज़ रोशनी के फ्लैशेज़, ज़िग-ज़ैग लाइनें और किसी चीज़ पर फोकस न कर पाने की समस्या होने लगी थी. जांच की तो पाया कि महिला स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम नामक बीमारी से पीड़ित हो गई थी.
क्या होता है स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम
डॉक्टर ने बताया कि स्मार्टफोन विज़न डिसॉर्डर तब पैदा होता है, जब आप डिजिटल स्क्रीन का लंबे समय तक प्रयोग कर रहे हों. इसमें देखने की क्षमता बुरी तरह से प्रभावित होती हैं. आंखों में मौजूद देखने वाला तंत्र धीरे धीरे काम करने बंद करने लगता है. रात के अंधेरे में इसका प्रयोग करना अधिक खतरनाक हो सकता है. मोबाइल फोन, टैबलेट का प्रयोग करने वाले लोगों में यह समस्या अधिक बढ़ी है.
महिला के साथा क्या हुआ था?
हैदराबाद के डॉक्टरों ने महिला के इलाज के साथ बीमारी के लक्षण और बचाव भी शेयर किए हैं. डॉक्टर का कहना है कि लंबे समय तक फोन का प्रयोग करने से यह समस्या पैदा हो सकती है. इसमें आंखों में फ्लोटर्स, विज़न में स्पॉट्स, तेज़ रोशनी के फ्लैशेज़, ज़िग-ज़ैग लाइनें और किसी चीज़ पर फोकस कर देख पाने में परेशानी हो सकती है. यदि ऐसे लक्षण दिख रहे हैं तो अलर्ट हो जाना चाहिए. महिला को भी इसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ा. डॉक्टरों ने बताया कि महिला ने बच्चे की देखभाल के लिए अपनी जॉब छोड़ दी और घंटों समय मोबाइल पर ही गुजारने लगी. महिला को विजन में दिक्कत आने लगी. धीरे धीरे दिखना बंद होने लगा. कई बार ऐसा हुआ कि उसे काफी देर तक दिखना ही बंद हो गया. करीब डेढ़ साल तक उसे इस परेशानी का सामना करना पड़ा.
डॉक्टरों ने कैसे किया इलाज
डॉक्टर ने बताया कि जब महिला ने न दिखने संबंधी समस्या के बारे में बताया तो उन्होंने उसकी डेली लाइफ के बारे में पूछा. महिला ने अधिक फोन प्रयोग होने की बात कही. इसके बाद उसे किसी तरह की जांच करने की सलाह नहीं दी गई. न कोई दवा दी. उससे कहा कि फोन का प्रयोग करना बंद कर दो या बहुत कम कर दें. महिला को एक महीने बाद फिर बुलाया गया. इस बार उसके विजन में सुधार था. धीरे धीरे उसकी आंखें बिल्कुल नार्मल हो गईं. डॉक्टरों का कहना है कि खराब तरीके से बैठना, लेटना, लगातार पफोन या टैब का प्रयोग करते रहना, काम के बीच में ब्रेक न लेना, फोन को अधिक नजदीक से देखना इस बीमारी को बढ़ावा दे सकते हैं.
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