नई दिल्लीः हर साल दीपावली के मौके पर लोग, खासकर बच्चे कुछ दिन पहले ही पटाखे जलाना शुरू कर देते हैं. दीवाली के दिल पटाखे जलने की खुशी बाद में कई दिनों तक सेहत को नुकसान पहुंचाती है. आज हम आपको बता रहे हैं कैसे दीवाली के मौके पर पटाखे जलाना आपके लिए हो सकता है जानलेवा.



कैमिकल का होता है इस्तेमाल-
पटाखे बनाने के लिए कई तरह के कैमिकल्स जैसे कैडियम, लेड, मैग्नेशियम, सोडियम, जिंक, नाइट्रेट और नाइट्राइट का इस्तेममाल होता है. ये कैमिकल्स सेहत के लिए नुकसानदायक हैं.

पटाखों से होने वाले नुकसान-




  • इन कैमिकल्स से तैयार हुए पटाखों की ध्वनि भी 125 डेसिबल से ज्यादा होती है. जो कि किसी भी व्यक्ति को आसानी से बहरा बना सकते हैं. कई बार ये बहरापन हमेशा के लिए हो जाता है. आम दिनों में शोर का मानक स्तर जहां दिन में 55 और रात में 45 डेसिबल के आसपास होता है लेकिन दीवाली वाले दिन ये स्तर 70 से 90 डेसिबल तक पहुंच जाता है. ये शोर काने के पर्दे फाड़ने और बहरा करने के लिए काफी है.

  • पटाखों से निकलने वाली चिंगारी की वजह से आंखें और चेहरे जख्मी हो सकते हैं.

  • इनके धुएं से सांस संबंधी बीमारियां होना बहुत कॉमन है. दमे के मरीजों या रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम्स से गुजर रहे लोगों को भी इससे बहुत दिक्कतें हो सकती हैं. दरअसल, पटाखों से निकलने वाली सल्फर डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड गैस और लेड सहित अन्य कैमिकल्स से अस्थमा के मरीजों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इन कैमिकल्स और गैस की मात्रा अधिक होने से श्वसन नली सिकुड़ने लगती है. जिसकी वजह से मरीजों को सांस लेने में परेशानी होती है.

  • पटाखों के कारण लोगों की श्वास नली में रूकावट, गुर्दे में खराबी और त्वचा संबंधी समस्याएं भी बढ़ जाती हैं.

  • गर्भवती महिलाओं के लिए तो पटाखे बहुत ही ज्यादा नुकसानदायक हैं. पटाखों से निकलने वाली सल्फर डाइआक्साइड और नाइट्रोजन डाइआक्साइड गैसें हवा में घुल जाती हैं जो मां और बच्‍चे दोनों को ही नुकसान पहुंचाती हैं.

  • पटाखों के स्मॉग से खांसी, फेफड़े संबंधी दिक्कतें, आंखों में इंफेक्शन, अस्थमा अटैक, गले में इंफेक्शन, हार्ट संबंधी दिक्‍कतें, हाई ब्लड प्रेशर, नाक की एलर्जी, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी समस्याओं के होने का खतरा बढ़ जाता है.

  • पटाखों से हॉस्पिटल में मौजूद मरीजों, वृद्धों और पशु−पक्षियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

  • कई लोगों को पटाखों के कारण अवसाद, घबराहट, एंजाइटी, उल्टी होना और नर्व्स सिस्‍टम बिगड़ना जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं. दरअसल, पटाखों से निकलने वाला धुंआ, आवाज और गैस सेहत को बहुत नुकसान पहुंचाती है.

  • कई बार लापरवाही तो कई बार पटाखों के फटने से लोग अपना हाथ, चेहरा तक जला बैठते हैं.


क्या कहती है रिपोर्ट-
पर्यावरण सरंक्षण विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, सामान्य दिनों में 24 घंटे में सल्फर गैस लगभग 10.6 और नाइट्रोजन 9.31 माइक्रो मिली ग्राम प्रति घन मीटर हवा में मौजूद रहती है, जिसका शरीर पर बहुत प्रभाव नहीं पड़ता, लेकिन दीवाली में जलाएं गए पटाखों के कारण 24 घंटे में इन गैसों की मात्रा हवा में दोगुनी से भी ज्यादा हो जाती है. इसका सीधा प्रभाव शरीर पर पड़ता है. खासकर बच्चों,  बुजुर्गों और दमा के मरीजों पर.

एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, तेज आवाज वाले पटाखों में बारूद, चारकोल, नाइट्रोजन और सल्फर जैसे रसायनों का इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता है. जिससे चिंगारी, धुआं और तेज आवाज निकलती है. ऐसे पटाखों के कारण कैमिकल्स गैस के रूप में हवा में फैल जाते हैं. ये सेहत के लिए बेहद हानिकारक हो सकते हैं.

एक रिसर्च के मुताबिक, एक लाख कारों के धुएं से जितना नुकसान एन्वायरमेंट को होता है उतना नुकसान 20 मिनट की आतिशबाजी से होता है.

ऐसे में इनसे बचने के लिए इस बार दीवाली पर पटाखें ना जलाने का संकल्प लें.

नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.