नई दिल्लीः एक्सपर्ट का कहना है कि धूम्रपान से सोराइसिस का खतरा दोगुना हो जाता है क्योंकि निकोटिन के चलते त्वचा की निचली परत में रक्त संचार बाधित हो जाता है और त्वचा को ऑक्सीजन कम मिलती है.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
सोराइसिस, आईएडीवीएल इंडिया के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. अबीर सारस्वत ने कहा कि निकोटिन रक्त को त्वचा की निचली परत में जाने से रोकता है, इसलिए त्वचा को कम ऑक्सीजन मिलती है. इससे कोशिका उत्पादन की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जिससे सोराइसिस जैसे रोग होते हैं.


क्या कहता है सर्वे-
सोराइसिस पर हुए एक सर्वे के अनुसार, दुनिया में 12.5 करोड़ लोग इस रोग से पीड़ित हैं. हालिया एक रिसर्च में बताया गया है कि भारत में करीब चार से पांच फीसदी लोग सोराइसिस से पीड़ित हैं.


विशेषज्ञ बताते हैं कि सोराइसिस का कोई एक कारण नहीं है, लेकिन यदि आपके परिवार के किसी सदस्य को सोराइसिस है, तो आपको भी इसका खतरा हो सकता है.


अर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम में डर्मेटोलॉजी एंड कॉस्मेटोलॉजी की एचओडी डॉ. मोनिका बंब्रू ने कहा कि सोराइसिस में त्वचा लाल हो जाती है और सफेद दाग उभर आते हैं. यह सिर, कुहनी, घुटने और पेट की त्वचा पर हो सकता है. स्किन बायोप्सी या स्क्रैपिंग से इसका पता लगाया जा सकता है. सोराइसिस की स्थिति और शरीर के कितने हिस्से पर इसका प्रभाव है, इसे देखते हुए कई प्रकार के उपचार उपलब्ध हैं. टॉपिकल थेरैपी और दवाएं लाभकारी होती है, लेकिन गंभीर स्थिति के लिए बायोलॉजिक्स जैसी एडवांस्ड थेरेपी की सलाह दी जाती है.


विशेषज्ञ बताते हैं कि तनाव से सोराइसिस नहीं होता है, लेकिन स्थिति गंभीर हो सकती है. हालांकि सोराइसिस से तनाव हो सकता है.


शोध में पाया गया कि मोटापे और सोराइसिस के बीच संबंध है और अत्यधिक भार वाले लोगों की त्वचा में घर्षण और पसीने से घाव होने से सोराइसिस हो सकता है. जिन्हें पहले से सोराइसिस है उनकी त्वचा कटने या छिलने से स्थिति बिगड़ सकती है.


विशेषज्ञ सोराइसिस के रोगियों को शराब नहीं पीने की सलाह देते हैं क्योंकि इससे स्थिति विकट हो सकती है.


सोराइसिस का पूर्ण उपचार नहीं हो सकता, लेकिन जीवनशैली में बदलाव करने और प्रभावी उपचार लेने से रोगी की स्थिति में सुधार दिखता है.


ये खबर रिसर्च के दावे पर है, एबीपी न्यूकज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. किसी भी खबर या सलाह पर अमल करने से पहले एक्ससपर्ट की राय जरूर लें.