पूंछ के साथ जन्म लेने वाले एक बच्चे का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. सोशल मीडिया यूजर्स वीडियो पर तरह-तरह के रिएक्शन्स भी दे रहे हैं. यह वीडियो इसलिए भी लोगों को ज्यादा हैरान कर रही है क्योंकि पूंछ तो जानवरों के होते हैं लेकिन इंसान के बच्चे का पूंछ होना यह चीज काफी हैरान के साथ-साथ परेशान भी कर रही है. इंसान के बच्चे पूंछ के साथ पैदा होने के कुछ ही मामलें पूरी दुनिया भर में है. जानवर के पूंछ और इंसान के पूंछ में फर्क बस इतना ही होता है कि इंसान के बच्चे अगर पूंछ के साथ जन्म लेते हैं तो पूंछ में हड्डी नहीं होती है और जानवरों के पूंछ में हड्डी होती है. वीडियो पर सोशल मीडिया यूजर्स के कमेंट पढ़कर एक बात तो साफ है कि 21वीं सदी के भारत में आज भी इन चीजों को लेकर अंधविश्वास कहीं न कही है. अक्सर ऐसे जन्म लेने वाले बच्चे जिनका पूंछ या दो सिर या दो पैर, हाथ वाले बच्चे को कुछ लोग देवी का अवतार मानते हैं वहीं कुछ लोग इसे पूर्व जन्म के पाप से तुलना करता है. लेकिन आज हम इन अंधविश्वास से पड़े मेडिकल साइंस की भाषा में इन बच्चों को क्या कहा जाता है? उसे लेकर बात करेंगे. साथ ही साथ किन कारणों की वजह से होता है. आज हम इन्हीं सब पर बात करेंगे.
जन्में बच्चों की पूंछ की लंबाई इतनी सेंटीमीटर होती है
अबतक इंसान के बच्चे जो पूंछ के साथ जन्म लिए हैं उनके पूंछ लंबाई 18 सेंटीमीटर तक लंबी होती है. ऑफिशियल रिकॉर्ड के मुताबिक पूरी दुनिया भर में पूंछ के साथ पैदा हुए बच्चों की संख्या 40 है. यह पूंछ सॉफ्ट, बिना हड्डी, उंगली जैसे डिजाइन वाले होते हैं. जिन्हें सर्जरी के जरिए हटाया जा सकता है.
हमारे पूर्वज यानि ह्यूमन एंसेस्टर बंदर थे
रिसर्चर के मुताबिक पूंछ वाले बच्चों के पूरी दुनिया में अब तक के केसेस को देखकर इसके बारे में जानने की रूचि तो बढ़ती ही है आखिर किन कारणों की वजह से बच्चे पूंछ के साथ जन्म लेते हैं . वहीं दूसरी तरफ यह चिंता की बात भी है. कई रिसर्च इस बात पर सहमति जताते हुए इसे पुरानी थ्योरी के साथ जोड़ते हैं. पुरानी थ्योरी के मुताबिक इंसान के पूर्वज चिंपाजी थे और उनके पूंछ हुआ करते थे. चिंपाजी में धीरे-धीरे विकास हुआ और पूंछ गायब हो गए फिर वह इंसान बन गए. लेकिन आज भी कुछ बच्चे पूंछ के साथ जन्म लेते हैं तो यह आम बात है.
इंसान के बच्चों के दो तरह के पूंछ होते हैं
चार्ल्स डार्विन की थ्योरी से ही इंसान में पूंछ का विकास और उसे लेकर गलतफहमी उस वक्त से ही शुरू होती है. डार्विन ने अपनी थ्योरी में कहा कि इंसान में पूंछ का होना एक घटना है. यह हमारे पूर्वज की ही देन हैं जो चिंपाजी थे. फिर धीरे-धीरे उनमें विकास हुआ और आखिर में जाकर वह इंसान बन गए. 1980 के दशक में वैज्ञानिकों ने इस सिद्धांत को अपनाया और इसके साथ काम किया. उन्होंने तर्क दिया कि एक जेनेटिक चेंजेज है जो मनुष्यों द्वारा हमारी पूंछों को मिटाने के लिए विकसित किया गया था. जो कभी-कभी अपनी पैतृक स्थिति में वापस आ सकता है.
1985 में एक सेमिनल पेपर ने दो अलग-अलग तरह की 'पूंछ' को परिभाषित किया. इसमें क्लियर तौर पर लिखा गया कि इंसान के बच्चे पूंछ के साथ पैदा हो सकते हैं. इसमें बताया गया कि इंसान के बच्चों में पूंछ हमारे पूर्वजों से विरासत में मिला हुआ माना जाता है. लेकिन वैसे भी इंसान के बच्चे हैं जिनके पूंछ में हड्डी होती है उसे टेलबोन के नाम से जाना जाता है. इसका अर्थ है कि पूंछ में हड्डी भी शामिल होती है. इसे 'स्यूडोटेल' के रूप में जाना जाता है.
5 सप्ताह का भ्रूण एक पूंछ की तरह एक न्यूरल ट्यूब बनाता है
इसे अगर हम आसान भाषा में समझे तो एक महिला के पेट में भ्रूण लगभग 5 सप्ताह में एक न्यूरल ट्यूब और नॉटोकॉर्ड से बनी एक पूंछ जैसी संरचना विकसित करता है. जो शुरुआत में एक रीढ़ की हड्डी की तरह होती है. बाद में धीरे-धीरे भ्रूण का विकास होता है और पूंछ गायब हो जाता है. लेकिन खराब खानपान और जेनेटिक बीमारी की वजह से कुछ बच्चों में वह पूंछ रह जाता है. जिसके कारण वह बच्चा 9 महीने बाद पूंछ के साथ जन्म लेता है.
यहां देखें वीडियो: Video
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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