नींद लेने के नाम से दिल में दस्तक देता है खौफ, जानें सोम्नीफोबिया की बीमारी कितनी खतरनाक?
सोम्नीफोबिया से पीड़ित लोगों को परेशान होने की ज़रूरत नहीं है. उन्हें न्यूरोलॉजिस्ट या मनोचिकित्सक जैसे हेल्थ एक्सपर्ट की मदद लेनी चाहिए.
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'सोम्नीफोबिया' की बीमारी क्या है? दरअसल इसे आम बोलचाल और हेल्थ एक्सपर्ट के भाषा में कहेंगे सोने के नाम पर अजीब सा डर लगना. आपको उदाहरण से समझाने की कोशिश करते हैं. मान लीजिए आपको अर्ली मॉर्निंग जरूरी काम के लिए फ्लाइट पकड़नी है. आप इस चक्कर में पूरी रात नहीं सोते हैं कि अगर आप सो गए तो फिर आपकी फ्लाइट छूट जाएगी. अनहोनी हो जाएगी. कई तरह से सवाल दिमाग में आते हैं. इतनी सारी बातों के बीच दिमाग इतना ज्यादा उलझ जाता है कि आपको लगता है कि कुछ अनहोनी हो जाए इससे अच्छा है कि पूरी रात जगने में ही भलाई है.
सोमनीफोबिया के लक्षण
यह तो एक मामूली सी बात हो गई लेकिन ऐसा ही डर कुछ लोगों के अंगर गंभीर रूप ले लेता है और यह सोमनीफोबिया की बीमारी का शिकार बना देता है. इस बीमारी के मरीज सोते ही नहीं है. उन्हें सोने के नाम से डर लगता है. उन्हें लगता है कि अगर सो गए तो कुछ अनहोनी घट जाएगी. अगर बिस्तर पर लेटेंगे भी तो उनके शरीर पर अजीबोगरीब चीजें दिखाई देगी. जिसे सोमनीफोबिया के लक्षण कहे गए हैं. जैसे माथे से पसीना, नम हथेलियां, तेज़ दिल धड़कना.
बेंगलुरू के 31 साल के बशीर अहमद रमज़ान खत्म (बदला हुआ नाम) होने के बाद अपनी पुरानी लाइफस्टाइल में वापस नहीं आ पाए हैं. पहले, उन्हें रात 1 बजे सोने और सुबह 8 बजे उठकर आईटी कंपनी में काम पर जाने की आदत थी. अब अहमद को नींद आने से डर लगता है. डॉक्टरों ने उन्हें कहा है कि आप में सोमनीफोबिया की बीमारी के लक्षण दिखाई दे रहे हैं. यानी नींद आने के डर से पीड़ित पाया गया है.
सोम्नीफोबिया के लक्षण नींद की कमी के कारण पूरे दिन काफी ज्यादा थकावट रहता है. हालांकि, ऐसे शारीरिक लक्षणों के अलावा, मनोवैज्ञानिक लक्षण भी हैं.
हाइपरवेंटिलेशन, सीने में दर्द, कोल्ड फ्लश, कंपन और कंपन, मतली, उल्टी, दिल की धड़कन तेज होना
बेंगलुरु कंसल्टेंट साइकोलॉजिस्ट सतदीप सोम के मुताबिक पार्किंसंस, PTSD (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर), डिमेंशिया, डिप्रेशन जैसी बीमारी में लोगों में फोबिया को अधिक गंभीर बीमारी का लक्षण माना जाता है.
आबादी के 60 प्रतिशत लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं
हैदराबाद के अपोलो हॉस्पिटल्स में न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. सुधीर कुमार कहते हैं कि पूरी आबादी के लगभग 60 प्रतिशत लोग नींद की समस्याओं से पीड़ित है, लेकिन अपने काम के सिलसिले में वे हैदराबाद में ही हर महीने कम से कम दो ऐसे लोगों से मिलते हैं, जिन्हें सोमनीफोबिया है. वे कहते हैं यह एक मानसिक और मनोवैज्ञानिक समस्या है, जो मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर के असंतुलन से संबंधित है.
मनोवैज्ञानिक लक्षण जो किसी व्यक्ति में हो सकते हैं वे हैं:
विनाश की आशंका, अलगाव की भावना, चिंता और घबराहट के दौरे, नींद में देरी, सोने के समय से बचना
सोम्नीफोबिया से बचने के लिए करें यह उपाय
रोजाना एक्सरसाइज करें, अच्छा डाइट लें और सोने से पहले किताब जरूर पढ़ें. कम से कम कैफीन का इस्तेमाल करें. दिन के वक्त झपकी लेने से बचें.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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