Sound Sleep Benefit: नींद आना एक नेचुरल प्रक्रिया है. हर व्यक्ति दिन और रात मिलाकर लगभग 8 घंटे जरूर  सो लेता है. जो कम सोता है या सो ही नहीं पाता. डॉक्टर उसे बीमार होने की कैटेगरी में मानने लगते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि लोग दिन में सही ढंग से नहीं पाते हैं. रात को सोए बिना लोगों की नींद पूरी नहीं होती. कई बार आपने देखा होगा कि रात में लाइट जलने या दिन के उजाले में सोने पर लोग आंखों पर कपड़ा ढककर सोने लगते हैं. अब सोचने की जरूरत है कि ब्रेन ऐसा क्या रिएक्ट कर रहा होता है, जिसका अंधेरे और उजाले से सीधा कनेक्शन है. 


अंधेरे में जल्दी क्यों आ जाती है नींद
अंधेरे में सोने और दिन में जागना, यह पूरी तरह ब्रेन के नियंत्रण में होते हैं. दरअसल, ब्रेन में हाइपोथैलेमस होता है. इसका आकार मूंगफली जितना होता है. हाइपोथैलेमस तंत्रिका कोशिकाओं के ग्रुप में होता है. यह नींद और ब्रेन की एक्टिविटी को नियंत्रित करने का काम करता है. इसके अलावा हाइपोथैलेमस में हजारों कोशिकाओं के रूप में सुप्राचौस्मेटिक न्यूक्लियस भी मौजूद होता है. इसका काम यही होता है कि जैसे ही आंखों की पुतलियों पर उजाले का प्रकाश पड़े. तुरंत इसकी सूचना ब्रेन को पहुंच जाए. ब्रेन को प्रकाश होने की सूचना मिलते ही वह एक्टिव होने की कोशिश करता है या हो चुका होता है. यह किसी भी तरह के प्रकाशा से हो सकता है. जबकि अंधेरे के खिलाफ उतना रिएक्ट नहीं करता. इसी कारण रात को नींद जल्दी, अच्छी और गहरी आती है. 


ब्रेन स्टेम भी निभाता है भूमिका
सोने में ब्रेन स्टेम भी इंपोर्टेंट भूमिका निभाता है. ब्रेन स्टेम का सीधाा जुड़ा हाइपोथैलेमस से होता है. यह जागने और सोने के बीच अवस्था को नियंत्रित करने का काम करता है. हाइपोथैलेमस मेें नींद को उत्तेजित करने वाली कोशिकाएं एक्टिव हो जाती हैं. वहीं ब्रेन स्टेम में उत्तेजना केंद्रों की एक्टिवनेस को थोड़ा और सेंसटिव बनाता है, ताकि बेहतर नींद आ सके. रेम सोने की अवस्था होती है, जिसमें आदमी गहरी नींद मेें सोकर सपने देख रहा होता है. इस अवस्था में ब्रेन स्टेम ब्रेन को संदेश भेजता है ताकि बॉडी के अन्य अंग भी आराम कर सकें. 


सात से आठ घंटे जरूर सोएं
डॉक्टरों का कहना है कि स्वस्थ्य व्यक्ति के लिए हेल्दी नींद लेना बहुत जरूरी है. इसे सात से आठ घंटे तक ठीक माना जाता है. यदि 6 घंटे भी सो रहे हैं, तब भी इतनी बड़ी परेशानी नहीं है. लेकिन इससे कम सोने पर एंग्जाइटी, डिप्रेशन, इम्यून सिस्टम कमजोर होना जैसी परेशानियां हो सकती हैं. यदि अधिक सो रहे हैं तो वह भी बीमारी की जड़ है. यह मोटापा, डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हार्ट रोग का कारक हो सकता है. इसके अलावा कम सोना और लगातार अधिक सोना कई बीमारियों के भी लक्षण होते हैं. 



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