स्टैटिन थेरेपी 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों में हृदय संबंधी और मृत्यु दर के जोखिम को कम करती है. यह दवा 85 साल से अधिक उम्र वाले लोगों के लिए सुरक्षित और काफी ज्यादा फायदेमंद है. स्टैटिन को चमत्कारी दवा के रूप में जाना जाता है. लिपिड कम करने वाली दवाओं का एक वर्ग है जो रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को काफी कम करता है.


स्टैटिन दवा से दिल की बीमारी का जोखिम होता है कम


ये दवाएं एंजाइम HMG-CoA रिडक्टेस को रोकती हैं. जो लिवर में कोलेस्ट्रॉल बनने में प्रमुख भूमिका निभाती है. कोलेस्ट्रॉल को कम करके स्टैटिन हृदय संबंधी बीमारियों (CVD) को रोकने में मदद करती है. यह स्टैटिन दवा है जो बूढ़ापे में दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारी को कंट्रोल करने का काम करती है .


CVD के इलाज में है कारगर


आमतौर पर CVD के उपचार और रोकथाम दोनों के लिए निर्धारित किया जाता है. जिससे वे आधुनिक हृदय संबंधी चिकित्सा का अभिन्न अंग बन जाते हैं. 60 साल और उससे अधिक उम्र के वयस्कों के एक नए अध्ययन में अब पाया गया है कि प्राथमिक हृदय रोग (CVD) की रोकथाम के रूप में स्टैटिन थेरेपी का उपयोग CVD और सभी कारणों से होने वाली मृत्यु दर को रोकने के लिए असरदार था.यहां तक कि 85 साल और उससे अधिक उम्र के वयस्कों में भी. 


'एनल्स ऑफ़ इंटरनल मेडिसिन' में पब्लिश रिपोर्ट


'एनल्स ऑफ़ इंटरनल मेडिसिन' में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक हांगकांग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने हांगकांग अस्पताल प्राधिकरण से इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (ईएचआर) का उपयोग करके स्टैटिन थेरेपी और सी.वी.डी. जोखिम के बीच संबंधों की जांच करने के लिए एक लक्ष्य निर्धारित किया है. रिसर्च  में 60 साल से अधिक आयु के वयस्क रोगियों को शामिल किया गया है. जिनमें पहले से कोई सी.वी.डी. नहीं था.


रिपोर्ट में मिले आंकड़ों के मुताबिक सभी उम्र वालों लोगों में स्टैटिन थेरेपी शुरू करने से सी.वी.डी. और सभी कारणों से होने वाली मृत्यु दर में कमी आई है. यहां तक कि 85 साल या उससे अधिक आयु वालों लोगों की मृत्यु दर में भी कमी आई है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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