नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने फरवरी माह में ह्रदय रोगियों के इलाज में काम आने वाले स्‍टेंट की कीमतें 85% तक कम कर दी थीं. अब 40 हज़ार का स्टेंट 6 से 8 हज़ार और एक लाख से डेढ़ लाख में बिकने वाला स्टेंट महज़ 20 से 22 हज़ार में मिल रहा है. बेशक, सरकार ने स्टेंट की कीमत कम कर दी है लेकिन इसके साथ ये भी जानना जरूरी है कि क्या इससे स्टेंट की क्वालिटी में फर्क आएगा? क्या मरीजों को सचमुच इससे सस्ता इलाज मिल पाएगा? एबीपी न्यू़ज़ ने इन सभी सवालों के जवाब के लिए यशोदा हॉस्पिटल के कार्डियक यूनिट हेड डॉ. धीरेंद्र सिंघानिया से बातचीत की. चलिए जानते हैं क्या हैं एक्सपर्ट की राय.


कब इस्तेमाल होता है स्टेंट का-
स्टेंट हार्ट में मौजूद ब्लॉकेज को रिमूव करने के लिए इस्तेमाल होता है. स्टेंट का इस्तेमाल करने से पहले कई चीजों का ध्यान में रखा जाता है.


आर्ट की नसों में ब्लॉकेज का इलाज तीन तरह से होता है. दवाओं से, स्टेंट से और तीसरा बायपास सर्जरी से.


स्टेंट के इस्तेमाल से पहले हार्ट की नसों की ब्लॉकेज स्थिति को जांचा जाता है. एंजियोप्लास्टी यानि स्टेंट डालने से पहले देखा जाता है कि इसके रिजल्ट कैसे होंगे. आर्टरी की क्या सिचुएशन है. स्टेंट कितने महीने या साल तक कारगर होगा. स्टेंट डालने से कोई रिस्क तो नहीं. यही सब फैक्टर बायपास में देखे जाते हैं और फिर फाइनल डिसीजन लिया जाता है कि एंजियोप्लास्टी होगी या फिर बायपास सर्जरी.


बजट भी करता है मैटर-
कुछ मरीजों में 4 से 6 ब्लॉकेज भी होते हैं. ऐसे में मरीजों को पूरे प्रोसीजर की कीमत भी देखनी होती है. जो मरीज सिर्फ एक ही बार कोस्ट पेय कर सकते हैं और लंबे समय तक इफेक्ट चाहते हैं वे 4-5 स्टेंट डलवाने के बजाय अपना बजट देखते हुए बायपास सर्जरी करवाना ज्यादा बेहतर समझते हैं. हालांकि बजट एक बहुत छोटा कारण होता है.


6 महीने में दोबारा हो सकती है प्रॉब्लम?
एंजियोप्लास्टी यानि स्टेंट डालने में 5 से 7% लोगों में 6 महीने में ही ब्लॉकेज वापिस होने का चांस रहता है. हालांकि ऐसा नहीं कि बायपास सर्जरी 100% सक्सेसुफल है. उसका भी अपना फेल्‍योर रेट होता है. अगर लॉन्ग टर्म में देखा जाएं तो 5 से 10 साल में दोनों के ही रिजल्ट एक जैसे सामने आते हैं. हां, एंजियोप्लास्टी में कई बार 6 महीने में ही दोबारा प्रॉब्लम हो सकती है. लेकिन ऐसा सिर्फ 5 से 7% लोगों में ही होता है. वहीं बायपास सर्जरी में भी दोबारा प्रॉब्लम आ सकती है लेकिन कुछ साल बाद.


सस्ते होने का हुआ है कुछ लाभ?
इसमें कोई शक नहीं कि स्टेंट सस्ते होने से हार्ट पेशेंट का इलाज सस्ता होगा. जो लोग स्टेंट महंगे होने की वजह से बाय पास सर्जरी का विकल्प चुन रहे थे अब वे ऐसा नहीं करेंगे. आज की तारीख में आर्टरी की ज्यादात्तर ब्लॉकेज स्टेंट यानि एंजियोप्लास्टी से डील हो सकती हैं.


सस्ते होने से आया है क्वालिटी में फर्क?
डॉ. धीरेंद्र कहते हैं कि क्वालिटी का फर्क तो है. जैसे यूरोपियन और अमेरिकन कंट्री से जो स्टेंट आएंगे उन पर हाई लेवल पर रिसर्च होती है. लेकिन एशियन कंट्रीज जैसे इंडिया और चीन में उस स्तर पर रिसर्च नहीं होती. कई बार इन कंट्रीज की क्वालिटी पर सवाल उठ सकता है. लेकिन ऐसा नहीं कि हर कंपनी का स्टेंट खराब ही हो या फिर हाई क्वालिटी का ना हो. कई कंपनियों पर सही से रिसर्च हुई है और देखा गया है कि सिर्फ 5% ही चांस है ब्लॉकेज होने का.


इंडिया में बनने वाले स्टेंट-
इंडिया में मैन्यूफैक्चर होने वाले स्टेंट के बारे में ये जांचना मुश्किल है कि उसकी कितने हाई लेवल पर, कितने इंटरनेशनल रिसर्च सेंटर्स में जांच हुई है. हालांकि ऐसा नहीं कि इंडिया में बनने वाले स्टेंट खराब होते हैं या फिर उनका इफेक्ट कम होता है. ऐसे स्टेंट में 90% मरीज चांसेज होते हैं कि मरीज 5 से 10 साल तक ठीक रहेगा लेकिन 5 या 7 नहीं बल्कि 10% चांस रहते हैं कि मरीज दोबारा उसी सिचुएशन में पहुंच सकता है.


डॉ. धीरेंद्र कहते हैं कि अगर स्टेंट के प्राइज डिफरेंस खत्म हो जाएं तो मरीजों को ज्यादा आसानी होगी. इतना ही नहीं, उनको क्वालिटी भी अच्छी मिलेगी.


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