नई दिल्लीः खर्राटे एक ऐसी चीज है जिसे कोई भी वास्तव में नियंत्रित नहीं कर सकता है. सोते समय जब किसी इंसान का शरीर पूरी तरह से शांत हो जाता है, वे वास्तव में बिना सोचे समझे खर्राटे लेना शुरू कर देते हैं. जिससे कई बार उनके साथ सोने वाले व्यक्ति को काफी दिक्कत हो सकती है. खर्राटों के कारण कई लोगों की नींद भी खराब हो जाती है. वहीं अब जल्द ही खर्राटों से निजात पाने के लिए एक दवा बाजार में आने वाली है.
जोर से खर्राटे लेना आमतौर पर स्लीप एपनिया का एक परिणाम है. यह ज्यादातर मोटे लोगों में सबसे आमतौर पर दिखाई देती है. स्लीप एपनिया एक विकार है जिसके परिणामस्वरूप खर्राटे आते हैं. जब कोई व्यक्ति सोता है, तो वायुमार्ग की मांसपेशियों को स्वाभाविक रूप से आराम मिलता है, लेकिन स्लीप एपनिया से पीड़ित व्यक्ति के मामले में, ये मांसपेशियां पूरी तरह से ध्वस्त हो जाती हैं. जिसके कारण हवा गले में एक छोटे से अंतराल से बाहर आती है जो अंततः खर्राटे का रुप ले लेती है. इससे सांस लेने में रुकावट भी हो सकती है.
यूएस के बोस्टन में ब्रिघम और महिला अस्पताल के शोधकर्ताओं ने साल 2018 में 20 स्नोरर्स के साथ एक रिसर्च की थी. जिसमें उन्होंने खर्राटा ले रहे लोगों को दो दवाएं दी, जिससे रोगियों में काफी ज्यादा सुधार देखने को मिले. इन दो दनाओं में से एक एटमॉक्सिटाइन थी. यह दवा बीते 20 सालों से आम तौर पर उन बच्चों को दी जाती है जो अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) से पीड़ित होते हैं.
दूसरी दवा का नाम ऑक्सीब्यूटिनिन था. यह मूत्र असंयम वाले रोगियों को दिया जाता है. यह मांसपेशियों में ऐंठन को कम करता है जो मूत्राशय को नियंत्रित करता है. इन दोनों दवाओं को मांसपेशियों को नियंत्रित करने के लिए जाना जाता है, यहीं कारण है कि अध्ययन में भाग लेने वाले लोगों को एक कॉम्बिनेशन दिया गया था. जिसके परिणां काफी अच्छे रहे, इस रिसर्च में शामिल लोगों में काफी सुधार देखने को मिले.
यहीं कारण है कि वर्तमान में AD109 के रूप में कोड नाम वाली नई दवा इन दोनों का एक संयोजन है. एक अमेरिकी फर्म इस दवा को बना रही है और अब इसका एक क्लिनिकल परीक्षण किया जा रहा है. हालांकि, इन दोनों दवाओं को अलग-अलग दुष्प्रभावों के बारे में भी जाना जाता है और इसीलिए दवा पर अधिक शोध की आवश्यकता है.
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